सभी खबरें

इंदौर : ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बुजुर्ग दंपती ने 9 घंटे तक काटे अस्पतालों के चक्कर, जवाब एक – जगह नहीं है 

मध्यप्रदेश/इंदौर – मध्यप्रदेश में कोरोना बेकाबू होता जा रहा हैं। आए दिन प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। हालात ये है कि अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई हैं। कई अस्पताल ऐसे है कि जहां ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मच रहा हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण ज्यादातर अस्पतालों ने नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया हैं। जबकि, जो मरीज़ पहले से ही अस्पतालों में भर्ती है उनके परिजन खुद ही ऑक्सीजन जुटाने में लगे हुए हैं।

इसी बीच आर्थिक राजधानी इंदौर से एक मामला सामने आया है, जहां ऑक्सीजन की किल्लत के कारण गुरुवार को कई अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने से मना कर दिया। बंगाली क्षेत्र के मित्र बंधु नगर की 62 वर्षीय चित्रलेखा को लेकर उनके पति ज्ञानसिंह नीम नौ घंटे तक अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे। ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर वे सुबह साढ़े 9 बजे घर से निकले।

जानकारी के अनुसार सबसे पहले अरबिंदो, फिर एमटीएच, गीताभवन, एमवायएच, सुपर स्पेशिएलिटी, बॉम्बे हॉस्पिटल, अरिहंत अस्पताल के चक्कर काटे, लेकिन कहीं जगह नहीं मिली। अरबिंदो व एमटीएच के तीन-तीन चक्कर लगाए। अंतत: शाम साढ़े 6 बजे रिया अस्पताल में 50 हजार रुपए जमा कराने के बाद भर्ती किया गया। 

बता दे कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर में इस समय हालात ख़राब होते जा रहे हैं। इन दोनों महानगरों में रिकॉर्ड तोड़ मरीज़ सामने आ रहे हैं। बात इंदौर की करे तो शहर में अप्रैल के 13 दिन में ही एक्टिव मरीजों की संख्या दोगुना हो चुकी हैं। तीन हजार मरीज आईसीयू व एचडीयू में गंभीर स्थिति में भर्ती हैं। इस वजह से ऑक्सीजन की खपत 100 टन रोज पर जा पहुंची है, जबकि सप्लाय 60-70 टन ही हैं। 

गुरुवार को भी अरबिंदो, इंडेक्स सहित शहर के सभी बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से परेशानी आई। विजय नगर क्षेत्र के कोविड अस्पतालों से भी यही जवाब मिला कि नया मरीज भर्ती नहीं कर सकते। भर्ती मरीजों को ही जरूरी ऑक्सीजन देने में दिक्कत आ रही हैं। कई मरीज परिजनों के साथ अस्पतालों के बाहर इंतजार करते रहे। 

बताते चले कि लगातार हो रहीं ऑक्सीजन की कमी के कारण कई अस्पतालों में मरीजों के परिजन अब खुद ड्यूटी दे रहे हैं। जैसे ही प्रबंधन फरमान सुनाता है कि ऑक्सीजन कम हो रही है, वे सिलेंडर भरवाने दौड़ जाते हैं। कार, बाइक, ऑटो से दिन में दो से तीन बार परिजन को सिलेंडर लाना पड़ रहे हैं।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button