लोकसभा में सोमवार आधी रात को नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास हुआ पक्ष में 311 और विरोध में पड़े 80 वोट
लोकसभा में सोमवार आधी रात को नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास हुआ पक्ष में 311 और विरोध में पड़े 80 वोट
- लोकसभा में पास किया नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास कर दिया
- जिसके पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विरोध में 80 पड़े
- गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि बिल में मुसलमानों के हक नहीं छीने गए हैं बिल में पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के सिख बौद्ध जैन ईसाई हिंदू पारसियों को नागरिकता देने का प्रावधान है
आखिर पूरा मामला है क्या ?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए लोकसभा में नागरिकता विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।
NRC और नागरिकता संशोधन बिल एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं
वैसे देखा जाये तो एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं क्योंकि जहां एक ओर नागरिकता संशोधन विधेयक में भारतीय जनता पार्टी धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने पर विचार कर रही हैं वहीं एनआरसी में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, असम गण परिषद और तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक के विरोध में हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह 1985 के ‘ऐतिहासिक असम करार’ के प्रावधानों का उल्लंघन है जिसके मुताबिक 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी अवैध विदेशी नागरिकों को वहां से निर्वासित किया जाएगा भले ही उनका धर्म कुछ भी हो।