मध्य प्रदेश सरकार में मंत्रियों को जिलों के बंटवारे पर फंसा पेच, सिंधिया खेमे के कारण अड़चन!
मध्य प्रदेश में चौथी बार कमान संभालने के बाद हर फैसले में देर हो रही है. मंत्रिमंडल गठन से लेकर ज़िलों का प्रभार सौंपने तक हर कदम पर अड़चन है.
भोपाल से भारती चनपुरिया : – शिवराज सरकार (shivraj government) के दोबारा सत्ता में आने के बाद मुश्किलों का दौर खत्म ही नहीं हो पा रहा है. पहले शिवराज मंत्रिमंडल (shivraj cabinet) का गठन, उसके बाद विस्तार, मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे के बाद अब मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने को लेकर एक नया संकट खड़ा हो गया है. लगभग डेढ़ महीने बाद भी मंत्रियों को ज़िलों का प्रभार नहीं बंट पाया है.अब कहा जा रहा है कि हर बार की तरह इस बार भी ये समस्या सिंधिया खेमे के कारण ही है.
आप को बता दे कि शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार 2 जुलाई को हुआ था. परन्तु डेढ़ महीने बीतने के बाद भी अभी तक मंत्रियों के बीच जिलों का प्रभार नहीं बंट गया है.अब इसके पीछे एक बड़ी वजह मंत्रियों के बीच बड़े जिलों की कमान को लेकर मची खींचतान माना जा रहा है. कांग्रेस(Congres) ने डेढ़ महीने बाद भी मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं देने पर सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री जीतू पटवारी(Jitu patwari ) ने कहा कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार उसके बाद विभागों के बंटवारे में हुई देरी और अब मंत्रियों को अब तक जिलों का प्रभार नहीं सौंपा गया है. शिवराज सरकार में हर फैसला देर से हो रहा है इससे जनता परेशान है.
मंत्रियों के बीच जिलों का प्रभार में यहाँ है मुश्किल
मध्य प्रदेश सरकार के लिए मुश्किल उन जगहों पर है जहां कि उप चुनाव होना हैं. इनमें सागर, इंदौर, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोक नगर जिले शामिल हैं. अब बतया ये है कि खींचतान इस बात पर है कि भारी भरकम और मलाईदार विभागों के बाद अब सिंधिया खेमे की नज़र बड़े जिलों में है. साथ के साथ यह मुश्किल भी है कि सागर जैसे जिले में जहां पर उप चुनाव होना है वहां से तीन मंत्री बनाए गए हैं,अब ऐसे में समस्या ये है कि कहां पर किस को किस जिले का प्रभार दिया जाए. यानी सिंधिया खेमे के कारण अब काम और कदम में अड़चन है.