स्टॉफ नर्स की अदूरदर्शिता और लापरवाही से अजन्मे शिशु ने गँवाये प्राण
स्टॉफ नर्स की अदूरदर्शिता और लापरवाही से अजन्मे शिशु ने गँवाये प्राण
स्टॉफ नर्स माधुरी गोपाले ने न सही से जांच की, न रेफर किया; अस्पताल में रखने की बजाय प्रसव पीड़िता को भिजवाया घर
धूमा/सिवनी/महेंद्र सिंघ नायक :- कहा जाता है स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डॉक्टर और नर्स भगवान का रूप होते हैं, और यह मरते हुए व्यक्ति में भी प्राण फूंकने की क्षमता रखते हैं। परंतु कभी-कभी यही चिकित्सा सेवा से जुड़े डॉक्टर और नर्स अभिशाप बनकर सामने आते हैं, जो किसी की जान बचाने की बजाय अपनी लापरवाही और अधकचरा ज्ञान से किसी किसी के प्राणों के लिए भी घातक हो सकते हैं। इनकी अदूरदर्शिता और लापरवाही से लोगों को असमय ही अपनी जान गंवानी पड़ती है।
नर्स की एक ऐसी ही लापरवाही का मामला ग्राम धूमा में सामने आया है, जहां स्टाफ नर्स की अनुभव हीनता और लापरवाही के कारण अजन्मे गर्भस्थ बच्चे को जन्म के पहले ही अपनी जान गवानी पड़ी। ग्राम धूमा के संतनगर मोहल्ला निवासी पूजा तिवारी पति हर्षित तिवारी को गर्भावस्था के दिन पूरे होने के बाद प्रसव पीड़ा आने पर शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धूमा में दिनांक 9 7 2020 को रात्रि 8:00 बजे लाया गया। जहां ड्यूटी पर उपस्थित स्टाफ नर्स माधुरी गोपाले द्वारा जांच की गई। उक्त नर्स ने ना सही ढंग से जांच की, नाही गंभीर अवस्था को देखते हुए उच्च चिकित्सालय के लिए रेफर किया बल्कि गर्भवती महिला एवं उसके परिजनों को घर जाकर सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा; जबकि गर्भवती महिला पूजा तिवारी की स्थिति चिंताजनक थी! लगभग 12 घंटे बाद एक अन्य स्टाफ नर्स रजनी सरेआम द्वारा निरीक्षण करके चिंताजनक स्थिति देखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखनादौन रेफर किया गया।
लॉकडाउन में भी बीएमओ ने निरीक्षण उपरांत स्थिति की गम्भीरता के आधार पर शासकीय जिला चिकित्सालय सिवनी के लिए रेफर कर दिया। जिला चिकित्सालय सिवनी में निरीक्षण एवं सोनोग्राफी के बाद पता चला कि गर्भवती महिला के गर्भ में पानी की कमी हो जाने के कारण गर्भस्थ शिशु की धड़कनें बंद हो चुकी हैं, एवं वह गर्भ में ही मृत हो चुका है। जिसके बाद कई घंटों के इंतजार के बाद जिला चिकित्सालय नर्सों द्वारा सामान्य प्रसव करा कर मृत बच्चे को निकाला गया।
परिवार में नए मेहमान के आगमन की तैयारियां कर रहे तिवारी परिवार को अपने अजन्मे बच्चे को खोकर गहरा सदमा लगा है। प्रसूता पूजा का तो रो रोकर बुरा हाल है, उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा जिस बच्चे को उसने 9 माह तक अपने पेट में रखा वह किसी की लापरवाही के कारण दुनिया में आने से पहले ही चल बसा। पूजा की सास आँगनबाडी कार्यकर्ता लीला तिवारी ने बताया कि, हमारी बहू की गर्भधारण से लेकर अब तक की सभी जांचें सामान्य करें बहू के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर भी सामान्य यानी 12.7% था। हमारे द्वारा बहू की लगातार देखभाल की गई है; उचित एवं पौष्टिक, भोजन पर्याप्त आराम आदि की व्यवस्था करके हमने जच्चा एवं आने वाले बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हम बड़ी आस लगाकर घर में नन्ही किलकारी गूंजने के इन्तजार में दिन गिन रहे थे। प्रसव दिनांक नजदीक आने पर दिनांक 9 7 2020 को रात्रि 8:00 बजे धूमा के सरकारी अस्पताल लेकर गए। जहां पर नर्स माधुरी गोपाले ने चेकअप करके कुछ भी नहीं कहा। ना ही हमें बताया की क्या स्थिति है, ना बड़े अस्पताल के लिए रेफर किया और ना ही इसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देखभाल हेतु भर्ती कराया; बल्कि हमें घर जाने के लिए कह दिया। साथ ही अपना फोन नंबर दे कर कहा कि, जब दर्द हो तब फोन लगा लेना तब तक मैं जाकर अपने घर में सोती हूँ। ऐसी सलाह पाकर हमें मजबूरी में अपने घर वापस लौटना पड़ा। सुबह लगभग 5:00 बजे जब बहू को बहुत ज्यादा दर्द हुआ तो हम दोबारा अस्पताल आए, पर नर्स माधुरी गोपाले ने जांच करने से मना कर दिया। लाचार होकर हमें सुबह 8:00 बजे दूसरी पारी में आने वाली नर्स का इंतजार करना पड़ा। बाद में आई नर्स रजनी सरेआम ने गहन जांच करके पाया की बहु अथवा गर्भस्थ बच्चे की स्थिति चिंताजनक है। उस आधार पर तत्काल ही लखनादौन के लिए रेफर कर दिया। लखनादौन से भी इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय सिवनी रेफर होना पड़ा। सिवनी में समस्त जांचों के बाद पता चला की बहू के गर्भाशय में पानी की अत्यधिक कमी हो गई है, जो कि लगभग 3% है ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु की धड़कनें बंद हो चुकी है; और शिशु की गर्भ में ही मृत्यु हो गई है। जैसे-तैसे करके 7 घंटे बाद जिला चिकित्सालय की नर्सों ने प्रसव करा कर मृत बच्ची को गर्भ से निकाला। उक्त बच्ची सामान्य वजन और पूर्ण रूप से विकसित थी। हमारे घर आने वाली पहली मेहमान ने इस दुनिया को देखने से पहले ही दुनिया को छोड़ दिया। इसमें पूरी लापरवाही शासकीय प्राथमिक केंद्र धूमा की स्टाफ नर्स माधुरी गोपाले की है। यदि इनके द्वारा सूक्ष्म जांच कर उचित सलाह दी जाती या उच्च चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया जाता तो, आज हमारी बच्ची जीवित होती। हमने ना केवल बच्ची को खोया है बल्कि बहू को भी प्राणों के संकट से जूझते देखा है। हम शासन-प्रशासन से यह मांग करते हैं की ऐसी अदूरदर्शी एवं लापरवाह स्टाफ नर्स के ऊपर कड़ी कार्यवाही करें, ताकि ऐसा हादसा दोबारा किसी अन्य के साथ ना हो सके।
वैसे सोचने वाली बात है कि स्थिति की जिस गम्भीरता को दूसरी नर्स रजनी सरयाम ने समझा और तत्काल ही रेफर किया। क्या पहली वाली नर्स माधुरी गोपाले को वास्तविक चिन्ताजनक स्थिति का ज्ञान नहीं था? या फिर इनके द्वारा जानबूझकर लापरवाही करके अनदेखा किया गया। कारण जो भी रहे हों लेकिन एक मासूम कन्या ने जन्म से पहले ही जान गँवा दी और परिवार को गहरे संताप में डुबा दिया। लोक सेवा के लिए शासन से ऊँचा परिश्रमिक एवं अनेकों सुविधायें पाने वाले जब कर्तव्यहीन होकर जनसामान्य का जीवन संकट में डालने लगें तो उच्चाधिकारियों को संज्ञान लेकर कार्यवाही सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है।
बता दें कि शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धूमा मैं नर्सों की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी ग्राम रहलोन कला के बृजेश झरिया की पत्नी को प्रसव हेतु यहां पर लाया गया था। परंतु यहां की ड्यूटी नर्स ने गम्भीर लापरवाही की थी और समय पर बड़े अस्पताल रेफर नहीं किया था। नतीजा यह रहा कि ना केवल बच्चा मृत हुआ, बल्कि उसकी जननी की भी मेडिकल जबलपुर में मौत हो गई थी। इसके अलावा हाल ही की दो घटनाओं में भी जच्चा अथवा बच्चा को असमय अपने प्राण गंवाने पड़े। ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायतें नहीं की जाती, सीएम हेल्पलाइन 181 पर पीड़ितों द्वारा शिकायत दर्ज कराई जाती है पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। विभागीय संरक्षण के चलते एवं क्षेत्र के लोगों के भोलेपन के कारण इनकी लापरवाही लगातार बढ़ती ही जा रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार एक समय में दो नर्सों की ड्यूटी लगाई जाती है, परंतु इनके द्वारा आपसी तालमेल करके केवल एक नर्स ड्यूटी पर रहती है बाकी दूसरी अपने घर में रहती है। इसके अलावा ड्यूटी में उपस्थित नर्स भी ड्यूटी के समय में अपने घर चली जाती है एवं मरीज आने पर या फोन लगाने पर ही स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचती है। ऐसी स्थिति में आपात स्थिति वाले मरीज एवं प्रसूता महिलाएं तब तक दर्द से तड़पते रहते हैं, यदि किसी कारणवश देर हो जाए तो बेचारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
जिला चिकित्सालय की डिस्चार्ज स्लिप :-
इनका कहना है:-
अश्विनी पटेल
(प्राथमिक चिकित्साधिकारी, धूमा)
“मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी, अभी सुनने में आया है कि नर्स की ओर से लापरवाही हुई है। हम इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को देकर उचित कार्यवाही करेंगे।”