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वन अधिकारियों ने चौकीदारों को काम से हटाया, चोरों को मिल गया मौका

वन अधिकारियों ने चौकीदारों को काम से हटाया, चोरों को मिल गया मौका
सीधी से  गौरव सिंह की रिपोर्ट : – 
 कोरोना का संक्रमण पिछले पांच महीने से लोगों को बेहाल किए है। काम-धंधा छूटने के बाद लोगो की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब है। हालात इतने बदतर हैं कि कई घरों में दो वक्त का चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है। ऐसे में सरकार सभी को काम देने का दावा तो कर रही है, लेकिन हकीकत इससे इतर है। अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके तहत मध्य प्रदेश के संजय टाइगर रिजर्व से जुड़े अफसरों चौकीदारों को ही काम से हटा दिया। तर्क दिया गया कि बजट नहीं। इधर चौकीदार हटाए गए उधर चोरों की बन आई। चोरों ने वन क्षेत्र से कई कीमती पेड़ ही काट लिया।बताया जा रहा है कि संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर कार्यमुक्त करने का मौखिक फरमान सुना दिया। इसके बाद चौकीदारों ने एक दिन कार्य बंद कर दिया, इसका नतीजा यह निकला कि वन परिक्षेत्र व्योहारी बफर जोन के बीट मझौली अंतर्गत कोठार बैरियर से महज 150 मीटर और मझौली, उमरिया रोड से 10 मीटर की दूर कंपार्टमेंट नंबर पीएफ 1326 एपीएफ 1330 एवं पीएफ 1328 में सैकड़ों सरई और सेधा जैसे अन्य इमारती लकड़ी के पेड़ कट गए। चोर काफी लकड़ी ले गए, शेष कई कटे पेड़ मौके पर पड़े हैं। ऐसे में ग्रामीणों को आशंका है कि सिर्फ वनरक्षक के जिम्मे इन पेड़ पौधों की सुरक्षा नामुमकिन है। अब तो वन परिक्षेत्र से रेत एवं पत्थर, बोल्डर के तस्कर भी सिर उठाने लगे हैं।
अब इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी मामले की जांच कराने और मुकदमा दर्ज कराने की बात कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जांच के पूर्व ही कितने पेड़ कट जाएंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
बता दें कि सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत विभिन्न वन परिक्षेत्रों में तकरीबन दो दशक से सैकड़ों श्रमिक चौकीदारी के रूप में वन सुरक्षा एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा जैसे जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं। यही उनकी आजीविका का साधन है। इसके एवज में उन्हे जो मजदूरी मिलती है उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। लेकिन इस कोरोना महामारी के बीच संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर काम से हटा दिया।बताया जा रहा है कि संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर कार्यमुक्त करने का मौखिक फरमान सुना दिया। इसके बाद चौकीदारों ने एक दिन कार्य बंद कर दिया, इसका नतीजा यह निकला कि वन परिक्षेत्र व्योहारी बफर जोन के बीट मझौली अंतर्गत कोठार बैरियर से महज 150 मीटर और मझौली, उमरिया रोड से 10 मीटर की दूर कंपार्टमेंट नंबर पीएफ 1326 एपीएफ 1330 एवं पीएफ 1328 में सैकड़ों सरई और सेधा जैसे अन्य इमारती लकड़ी के पेड़ कट गए। चोर काफी लकड़ी ले गए, शेष कई कटे पेड़ मौके पर पड़े हैं। ऐसे में ग्रामीणों को आशंका है कि सिर्फ वनरक्षक के जिम्मे इन पेड़ पौधों की सुरक्षा नामुमकिन है। अब तो वन परिक्षेत्र से रेत एवं पत्थर, बोल्डर के तस्कर भी सिर उठाने लगे हैं।
अब इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी मामले की जांच कराने और मुकदमा दर्ज कराने की बात कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जांच के पूर्व ही कितने पेड़ कट जाएंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
बता दें कि सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत विभिन्न वन परिक्षेत्रों में तकरीबन दो दशक से सैकड़ों श्रमिक चौकीदारी के रूप में वन सुरक्षा एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा जैसे जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं। यही उनकी आजीविका का साधन है। इसके एवज में उन्हे जो मजदूरी मिलती है उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। लेकिन इस कोरोना महामारी के बीच संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर काम से हटा दिया।बताया जा रहा है कि संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर कार्यमुक्त करने का मौखिक फरमान सुना दिया। इसके बाद चौकीदारों ने एक दिन कार्य बंद कर दिया, इसका नतीजा यह निकला कि वन परिक्षेत्र व्योहारी बफर जोन के बीट मझौली अंतर्गत कोठार बैरियर से महज 150 मीटर और मझौली, उमरिया रोड से 10 मीटर की दूर कंपार्टमेंट नंबर पीएफ 1326 एपीएफ 1330 एवं पीएफ 1328 में सैकड़ों सरई और सेधा जैसे अन्य इमारती लकड़ी के पेड़ कट गए। चोर काफी लकड़ी ले गए, शेष कई कटे पेड़ मौके पर पड़े हैं। ऐसे में ग्रामीणों को आशंका है कि सिर्फ वनरक्षक के जिम्मे इन पेड़ पौधों की सुरक्षा नामुमकिन है। अब तो वन परिक्षेत्र से रेत एवं पत्थर, बोल्डर के तस्कर भी सिर उठाने लगे हैं।
अब इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी मामले की जांच कराने और मुकदमा दर्ज कराने की बात कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जांच के पूर्व ही कितने पेड़ कट जाएंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
बता दें कि सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत विभिन्न वन परिक्षेत्रों में तकरीबन दो दशक से सैकड़ों श्रमिक चौकीदारी के रूप में वन सुरक्षा एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा जैसे जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं। यही उनकी आजीविका का साधन है। इसके एवज में उन्हे जो मजदूरी मिलती है उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। लेकिन इस कोरोना महामारी के बीच संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने कार्यरत चौकीदारों को बजट का हवाला देकर काम से हटा दिया।

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