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INDIAN CRICKET में रचने जा रहा है इतिहास,देश में पहली बार होगा daynight test cricket match 

INDIAN CRICKET में रचने जा रहा है इतिहास,देश में पहली बार होगा daynight test cricket match 

क्या है यह pink ball का daynight मैच ?


शशांक तिवारी की यह रिपोर्ट :
अब आपके indian cricketers एक नई गेंद (ball) के साथ नज़र आएंगे ,भारत में कल क्रिकेट की दुनिया में कुछ नया होने जा रहा हैं |

क्या नया होने जा रहा हैं ?

  • दरअसल  भारत में पहली बार डे नाइट टेस्ट मैच खेला जाना है, इस मैच को लेकर 'city of joy ” कोलकाता को 'pink city ' जैसा सजाया जा रहा है।
  • मैच से पहले दर्शकों में काफी उत्साह है। फैंस की इसी उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए मैच का प्रसारण करने वाले चैनल ने गुरुवार को टीम इंडिया के प्रैक्टिस सेशन को भी लाइव दिखाने का फैसला लिया है।

गुलाबी गेंद से बिक गई पूरी टिकट 

  • शुक्रवार 22 नवंबर से दो टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा मुकाबला भारत और बांग्लादेश(india vs bangladesh) के बीच कोलकाता में खेला जाना है।
  • पिंक बॉल टेस्ट मैच(pink ball test match ) को लेकर कोलकाता के दर्शकों में उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मैच की टिकटों दनादन बिक रही है।

क्या है pink ball test match ?
अब आसान भाषा में समझे तो क्रिकेट खिलाडी दिन और रात क्रिकेट खेलेंगे ,क्योंकि अब मैच नई गेंद (गुलाबी गेंद ) से होगा 

अब गुलाबी गेंद क्यों ?किया इसमें भी दिमाग़ लगाया होगा,

लेकिन गुलाबी ही क्यों?(why pink)   

 

   

  • अब गुलाबी गेंद क्यों ?किया इसमें भी दिमाग़ लगाया होगा,बेबी पिंक(Baby pink), बेरी पिंक( berry pink), सैल्मन पिंक(salmon pink), तरबूज पिंक(watermelon pink), फ्यूशिया(fuschia) –
  • यह निश्चित रूप से बताना मुश्किल है कि कानून निर्माताओं ने गुलाबी या डे-नाइट टेस्ट के लिए क्रिकेट बॉल के 'रंग' के रूप में चुनने से पहले इन सभी रूपों को ध्यान में रखा। । 
  • वे मूल रूप से एक रंग चाहते थे जो रात में दिखाई देगा और एक ऐसा जो 80 ओवर का टेस्ट होगा।
  • लाल गेंद पहले पैरामीटर को विफल कर देती है और सफेद एक दूसरे को खाली करने का मौका नहीं देता है। तो आया, दो रंगों का मिश्रण – गुलाबी गेंद।

 

  • 2000 के दशक में गुलाबी गेंदों को विकसित किया गया था ताकि रात में खेले जाने वाले टेस्ट और प्रथम श्रेणी मैचों को सक्षम किया जा सके। …
  • अन्य रंगों का भी प्रयोग किया गया था, जैसे कि पीले और नारंगी (चमक मिश्रित), रात की दृश्यता( में सुधार के लिए, लेकिन गुलाबी पसंदीदा विकल्प साबित हुआ।

 भारतीय कप्तान कोहली का क्या हैं कहना –

कोहली ने बताया, “मुझे लगता है आम तौर पर अगर आपने पिंक बॉल(pink ball) से नहीं खेला है तो पूरे मैच के दौरान आपके सामने चुनौती आने वाली है। इसको खेलने के लिए बहुत ज्यादा एकाग्रता और बेहद मजबूत तकनीक की जरूरत होगी। रेड बॉल(red ball) की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से खेलने की आवश्यकता होगी। वैसे भी लंबे फॉर्मेट के मैच में सफेद गेंद(white ball) की तुलना में लाल गेंद कुछ ज्यादा हरकत करती है।”

रंग की वजह से परेशानी

“गेंद के ऐसे रंग के होने की वजह से इसको देखने में थोड़ी परेशानी आती है जिसकी वजह से पिंक बॉल मैच खेलना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इसको लेकर जो भी आप फैसला लेते हैं बल्लेबाजी के दौरान वो बहुत सटीक होना चाहिए। आपके ऑफ स्टंप का पता होना सबसे ज्यादा जरूरी चीज होगी।”

अभ्यास के दौरान हुई परेशानी

  • विराट कोहली ने बताया, “कल (बुधवार) को जब हम प्रैक्टिस कर रहे थे तो ऐसा लग रहा था गेंद करीब है लेकिन वह इतनी करीब नहीं थी। ऑफ स्टंप को लेकर ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होगी।
  • गेंद को कैच करने में भी सतर्क रहना होगा, यह कितनी पास है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होगा। जैसा सफेद गेंद के साथ दोपहर में होता है कि आपको पता नहीं चल पाता यह कितनी दूर है और बड़ी तेजी से आपकी हथेली से टकराती है।”

फील्डर को कैच करने में परेशानी होगी


कोहली ने बताया कि स्लिप फील्डर के लिए इस गेंद को कैच करने में परेशानी होगी। उनका कहना था, “यह गेंद स्लिप में बड़ी तेजी से जाएगी, मुझे लगता है जो एक्स्ट्रा चमक है गेंद पर वह इसे तेजी के गुजरने में मदद करती है। यह हाथों पर भी बड़ी जोर से टकराती है। यह एक चुनौती होने वाली है।”

 

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