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रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला:अडानी ग्रुप को नौसेना के पनडुब्बी प्रोजेक्ट से किया बाहर

 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अडानी ग्रुप को रक्षा मंत्रालय ने 9 जून को नौसेना की पनडुब्बी प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने यह नहीं बताया है कि किन कारणों से अडानी ग्रुप को बाहर रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक पुख्ता जानकारी दी गई है कि इस प्रोजेक्ट के लिए मझगांव शिपयार्ड और एलएंडटी को स्ट्रैटेजिक पार्टनर के तौर पर चुना गया है। रक्षा मंत्रालय की सबसे बड़ी कमेटी रक्षा खरीद परिषद की आज एक अहम बैठक हुई, जिसमें इस बात का फैसला लिया गया कि नौसेना के प्रोजेक्ट पी-75i के लिए स्टेट्स पार्टनर को चुन लिया गया। ये पार्टनर किसी विदेशी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर कर सकते हैं। इसके बाद ही तय किया जाएगा कि यह प्रोजेक्ट किसे दिया जाएगा यानी एलएंडटी को मिलेगा या एमजीएल को। इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 50 हजार करोड़ है।

 सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अडानी ग्रुप को रक्षा खरीद परिषद ने क्यों बाहर कर दिया?

 हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने इस प्रोजेक्ट की सूची में अडानी ग्रुप को शामिल करने का विरोध किया था क्योंकि नौसेना ने इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी को तकनीकी कारणों से बाहर कर दिया था लेकिन रक्षा मंत्रालय ने नौसेना को इस प्रोजेक्ट के लिए एमजीएल के साथ रखने का आग्रह किया था लेकिन अब इस प्रोजेक्ट से पूरी तरह बाहर कर दिया है।  सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि नरेंद्र मोदी के चहेते गौतम अडानी जो उनके खास माने जाते हैं ऐसे में रक्षा परिषद ने उन्हें बाहर कर दिया है।

 भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 16 पनडुब्बी हैं जबकि पड़ोसी देश चीन के पास करीब 70 पंडुबियां हैं। हिंद महासागर में चीन के दावे को जवाब देने के लिए भारत को एक बड़े पनडुब्बी के जंगी बेड़े की जरूरत है, इस प्रोजेक्ट के तहत महत्वपूर्ण हो जाता है कि देश को शक्तिशाली बनाने की जरुरत है इसलिए देश को पनडुब्बियों की जरूरत है जो हमारे करीबी ताकतवर देश हैं उन्हें हम जवाब दे सकें।  

हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर पहले से ही अम्बानी और अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचने का आरोप लगता आ रहा है। पहले अडानी ग्रुप को इसमें शामिल किया गया था जिस पर बहुत हंगामा हुआ था और आरोप लगाया गया था जिसे रक्षा से सम्बंधित चीजों का ज्ञान नहीं है उसे क्यों नौसेना प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। और अब रक्षा परिषद् ने इस प्रोजेक्ट से अडानी ग्रुप को बहार कर दिया है। अब देखना है की बीजेपी ने पहले इनका सपोर्ट किया था तो अब इस मामले क्या जवाब देते हैं।

 

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