दमोह: अच्छी बारिश हो इसलिए बच्चियों को बिना कपड़ों के पूरे गाँव में चलवाया पैदल
- दमोह जिले के ग्रामीणवासियों का अन्धविश्वास
- गाँव में अच्छी बारिश के लिए किया टोटका
- सूखा से फसलों को बचाने बालिकाओं को निर्वस्त्र कर महिलाओं ने गांव में लगाई फेरी
दमोह/अंजली कुशवाह: भारत में वैसे तो आये दिन अन्धविश्वास की नयी-नयी कहानियाँ देखने और सुनने को मिल ही जाती हैं. लेकिन मध्यप्रदेश दमोह जिले के आदिवासी बाहुलय जबेरा ब्लॉक के बनिया गांव से अन्धविश्वास के नाम पर एक अजीब ही मामला सामने आया हैं. जहाँ एक प्रथा के नाम पर बच्चियों के साथ अमानवीयता की गयी. बनिया गांव की महिलाओं ने अच्छी बारिश के लिए टोटका किया जिसमें बच्चियों को बिना कपड़ों के गलियों में घुमाया गया. यहां बच्चियां कंधे पर मूसल रखकर चल रही थीं, जिसमें मेंढकी बांध रखी थी. गांव में बच्चियों को आगे कर महिलाएं खेर माता मंदिर पहुंची और पूजा करके प्रतिमा पर गाय का गोबर थोप दिया. महिलाओं के अनुसार इस प्रथा से इतनी बारिश होती है कि माता की प्रतिमा पर गोबर धुल जाता है. बारिश के लिए किए गए इस टोटके में बच्चियों के साथ इस अमानवीयता पर गांव के लोगों से कोई जबाब नहीं मिला.
ज़िले में इस साल नहीं हुई बारिश
ग़ौरतलब हैं कि जिले में इस साल बारिश नहीं होने की वजह से सूखे की स्थिति बन हो चुकी है जिससे खरीफ सीजन की फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोग तरह तरह के जतन कर रहे हैं, जिनमें टोटके भी शामिल हैं. रविवार की दोपहर जबेरा ब्लॉक की महिलाओं ने इंद्र देव को मनाने के लिए अपनी बालिकाओं को नग्न करके पूरे गांव में फेरी लगाई. मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि हम लोग अपने नग्न बच्चों से मेंढकी को मूसर अर्थात जिससे अनाज कूटते हैं उसमें बांधकर गांव की गलियों में घुमा रहे हैं और कीर्तन कर भगवान से बारिश की प्रार्थना कर रहे हैं.
बता दें कि महिलाओं ने गांव में भजन कीर्तन करते हुए फेरी लगाई और खेर माता के मंदिर में पहुंचकर मंदिर में विराजमान देवी की प्रतिमा को गोबर से थोपा. ग्रामीणवासियों ने बताया कि हम लोगों ने खेर माता मंदिर में माता रानी को गाय के गोबर से थोप दिया है. ऐसी मान्यता है कि बालिकाओं को नग्न करके मेंढकी को मूसर में बांधकर गांव की गलियों से घुमाते हुए खेर माता मंदिर में माता रानी के पास ले जाएंगे. इसके बाद गांव के प्रत्येक घर से सीधा मांगेंगे जिसमें आटा, चावल, दाल और नमक रहेगा और दोबारा माता रानी के मंदिर में जाकर गांव की सभी औरतें और पुरुष गक्कड़ बनाकर प्रसाद स्वरूप भोजन करेंगे. जब-जब हमारे क्षेत्र में सूखा की स्थिति होती है, तो हम सभी गांव की महिलाएं और पुरुष ऐसा ही करते हैं. ऐसा करने से इंद्र भगवान बारिश करते हैं. जिससे हमारे खेत पानी से लबालब भर जाते हैं. पानी इतना तेज गिरता है कि माता के शरीर में लगा गाय का गोबर अपने आप तेज बारिश से धुल जाता है और हमारी फसलें भी माता रानी की कृपा से अच्छी होती है.
प्रदेश में सबसे काम बारिश वाला जिला बना दमोह
प्रदेश में सबसे अधिक सूखा दमोह में भू अभिलेख विभाग के राजस्व निरीक्षक से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश स्तर पर प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार दमोह जिला प्रदेश के सबसे अधिक कम बारिश वाला जिला है. अभी तक के रिकॉर्ड में माइनस -47 वर्षा दमोह में दर्ज हुई है. जिले की सामान्य वर्षा 903 एमएम है, जबकि अभी तक मात्र 482 एमएम हुई है.
बता दें कि जहाँ प्रदेश के कई राज्यों में ज्यादा बारिश होने की वज़ह से बाढ़ की स्थिति बनी हुई हैं. वहीँ प्रदेश का दमोह जिला सूखे की मार से परेशान हो रहा हैं. जिसकी वजह से लोग बारिश की उम्मीद में अपने-अपने तरीकों से देवी देवताओं को मनाने में लगे हैं.