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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट की लगाम कसने के लिए जिलों के प्रभारी मंत्री बदला ,क्या प्रभारी मंत्री ही होंगे असली सरकार

जयपुर से भारती चनपुरिया की रिपोर्ट : – अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में अभी बहुत जल्दी विस्तार नहीं करेंगे। जो हैं उन्हीं से काम चलाएंगे। उनसे नाराज़ चल रहे सचिन पायलट की लगाम कसने के लिए उन्होंने जिलों के प्रभारी मंत्री बदल दिए हैं । यह तय कर दिया है कि यदि प्रभारी मंत्री जिलों की नौकरशाही को अपने तरीके से हांक लेंगे तो उनकी सरकार चलती रहेगी।                                                            अपने-अपने जिलों में भी प्रभारी ही मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि होंगे। अधिकारियों के ताले प्रभारी मंत्रियों की चाबी से खुलेंगे और बंद होंगे। यह बात कहने में कितनी सही और अच्छी लग रही है मगर सवाल यह उठता है कि इन घोषणाओं की ज़मीनी हक़ीक़त क्या होगी

  अजमेर जिले से ।यहां दो कांग्रेसी विधायक हैं। एक तो रघु शर्मा ,दूसरे राकेश पारीक। राकेश पारीक चुनाव जीत भले ही गए हों मगर उनमें विधायक जैसे कोई कनुके नहीं। उन्हें अफसर पहचानते तक नहीं । कुछ गांठते भी नहीं। ऐसा उन्होंने खुद ही कहा था ।

  दूसरे विधायक डॉ रघु शर्मा हैं जो चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री भी हैं ।वे इतने प्रभावशाली हैं कि अजमेर में उनके अलावा किसी और नेता की चलती ही नहीं ।उनके जिले में सारे अधिकारी उनकी सरपरस्ती में ही राज पाठ और ठाट कर रहे हैं। हलवा खा रहे हैं ।हलवा खिला रहे हैं।डॉक्टर रघु शर्मा के कहे बिना जिले में पत्ता  भी नहीं हिलता।    

  यहां पहले प्रभारी मंत्री प्रमोद भाया जी थे जो पिछले 2 साल में मुश्किल से 10 बार जिले को संभालने आए । उनका रुतबा कहने भर को रहा। किसी अधिकारी ने उनके कहे पर नौकरी नहीं की। नतीजा यह हुआ कि प्रमोद भाया कठपुतली की तरह बने रहे ।असली राज डॉ रघु शर्मा के हाथों में ही रहा। ख़ास तौर से  पुलिस विभाग और जिला कलक्टर पर डॉ रघु शर्मा ने ही क़ब्ज़ा बनाए रखा। पूर्व जिला कलक्टर विश्व मोहने शर्मा तो डॉ रघु शर्मा के वेंटिलेशन से ही साँसें लेते रहे।

   अब लालचंद कटारिया जी को अजमेर व कोटा का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। सवाल उठता है कि वे दोनों जिलों में कैसे सरकार नियंत्रण में रखेंगे?

   अजमेर जहाँ रघु शर्मा के इशारे पर पत्ता हिलता है वहां लालचंद कटारिया जी कैसे सरकारी डालियों को हिलाएंगे?

   मेरा दावा है कि कटारिया अजमेर जिले में केवल  मूक दृष्टि बनाये रखेंगे। राज तो रघु शर्मा एंड कंपनी ही चलाएगी ।

   उधर कोटा जिले में शांति धारीवाल मिनी सी एम कहलाते हैं।वे जब सत्ता में भी नहीं थे ,तब भी उनकी ही चलती थी ।अब वे मुख्यमंत्री गहलोत की दुखती रग बने हुए हैं।बाड़े बंदी के दौरान उनकी भूमिका दूसरे स्थान पर रही ।कोटा में तो वही होगा जो धारीवाल चाहेगा ऐसे में बेचारे लालचंद कटारिया जी अपनी कटार को म्यान में से बाहर कैसे  निकाल पाएंगे?

 अजमेर कोटा में जिस तरह लालचंद कटारिया फेल होंगे उसी तरह कई जिलों में जो प्रभारी बनाए गए हैं पूरी तरह फेल होंगे ।दूर जाकर जोधपुर को ही लीजिए ।वहाँ प्रभारी मंत्री चौधरी क्या कर लेंगे?  जोधपुर जिला मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है। पूरा प्रशासन उनसे सीधा जुड़ा हुआ है ।सीधे आदेश प्राप्त करता है ।वहां के कांग्रेसी भी सीएम हाउस में सीधा दखल रखते हैं। ऐसे में महेंद्र चौधरी नाम मात्र के प्रभारी मंत्री बने रहेंगे।

  इधर डॉ रघु शर्मा को प्रभारी मंत्री बनाया गया है । डॉ रघु शर्मा घाघ राजनेता माने जाते हैं। टोंक और भीलवाड़ा में जान बूझकर लगाए गए हैं।

  दोनों ही जिलों में सचिन पायलट की गुर्जर सेना पूरी तरह हावी है। अजमेर में अजय माकन ने जब कांग्रेसियों से रायशुमारी की तब रघु शर्मा को निपटाने के लिए सचिन के स्वामी भक्तों ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी। उन्होंने वही किया जो पढ़ाया गया था। रघु शर्मा उन चेहरों को भूले नहीं हैं वे अब उन्हें ढूंढ लेंगे ।

  टोंक और भीलवाड़ा जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। इधर सचिन पायलट भी अतिरिक्त सावधान हो गए हैं । वे फूँक फूँक कर कदम रख रहे हैं ।अजमेर में जो कुछ हुआ उससे वे खुश नहीं। इससे उनकी छवि खराब हुई ।टोंक व भीलवाड़ा में वे ऐसा नहीं होने देंगे । नासमझ लोग समझ रहे हैं और कह भी रहे हैं कि डॉ रघु शर्मा का दोनों जिलों में भारी विरोध होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि डॉ शर्मा के सामने कोई ऐसा कर के तीर मार लेगा।

 डॉ शर्मा इन जिलों की आंतरिक राजनीति से दूर रहकर यदि सिर्फ अधिकारियों को काबू में रखें, ख़ास तौर से ज़िला पुलिस को तो उन्हें सफल होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

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