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स्वर्णिम मध्य प्रदेश में सड़कों पर महिलाएं, डंडे खाते भविष्य सुधारने का बीड़ा उठाए शिक्षक….

 

 स्वर्णिम मध्य प्रदेश में सड़कों पर महिलाएं, डंडे खाते भविष्य सुधारने का बीड़ा उठाए शिक्षक….

 

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव 

मध्य प्रदेश…

यह वही राज्य है जिसे स्वर्णिम मध्यप्रदेश कहा जाता है.. पर क्या आपको भी लगता है कि मध्य प्रदेश वाकई स्वर्णिम हैं.

 स्वर्णिम प्रदेश हम इसी प्रदेश को तब कह सकते हैं, जब प्रदेश में अशांति ना हो. सभी को खुश रखना मुश्किल है पर ज्यादा संख्या में लोग खुश हो सुकून भरी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं.

 और मध्य प्रदेश में क्या हो रहा है. भारी संख्या में युवा बेरोजगार हैं. जो शासकीय परीक्षाएं देकर चयनित है उनकी नियुक्ति नहीं हुई है.

 

 18 अगस्त का दिन..

प्रदेश भाजपा कार्यालय….

सुबह के 9:00 बज रहे थे….

पीले रंग की साड़ियां पहने हाथों में राखी लिए….

उपवास रखे राजधानी भोपाल चयनित शिक्षिकाएं पहुंची थी..

सभी चयनित शिक्षिकाएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इंतजार कर रही थी..

इंतजार इसलिए था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को मध्य प्रदेश की महिलाओं का क्या भाई मानते हैं और बच्चियों के मामा बनते हैं. सीएम जब अपने भाषण की शुरुआत करते हैं तो सबसे पहला लाइन यहीं रहता है “मेरे प्यारे भाई बहन,भांजे और भांजियों…. और फिर उसके बाद शुरू हो जाता है जुमलेबाजी का सिलसिला…”

 भोपाल में बीजेपी कार्यालय के सामने चयनित शिक्षकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की शुरुआत की लगभग 5000 से ज्यादा संख्या में चयनित शिक्षक मौजूद थे. प्रदर्शन कर रहे चयनित शिक्षकों का कहना था कि उन्हें सरकार से नियुक्ति चाहिए 2018 से वह अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं….

 पर स्वर्णिम मध्यप्रदेश में उन्हें क्या मिला…???

 चयनित शिक्षकों को पुलिस द्वारा घसीटा गया. सरकार महिला हित की बात अक्सर कहती रहती है पर सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए यह बिल्कुल सरकार के जुमलेबाजी से हटकर हैं.

 एक महिला को TI और महिला पुलिसकर्मी जबरन घसीट रही हैं.

 महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले सीएम शिवराज के राज्य में ये है महिला सशक्तिकरण..

 महिला पुलिस बल ने महिला सैनिकों के साथ झूमा झटकी की. उनके मास्क उतारे गए और फिर उनकी तस्वीरें ली गईं. साथ ही चयनित शिक्षकों पर नामजद f.i.r. दर्ज किया गया.

 वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारों का प्रदर्शन था.. इस प्रदर्शन में तो प्रशासन ने हद ही कर दी. भर्ती परीक्षाएं ना होने के विरोध में प्रदर्शन करने राजधानी में इकट्ठा हुए बेरोजगारों पर भोपाल पुलिस ने पुलिस मुख्यालय के सामने लाठियां भांजी उन्हें जबरन परसों में भरा गया और फिर बेरहमी से मारा गया इस दौरान कुछ बेरोजगारों ने पुलिस के गुंडे मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.

 

 

 प्रदर्शन चलता रहा बारिश होती रही बारिश के दौरान भी प्रदर्शन चलता रहा. डीआईजी इरशाद वली पुलिस बल को लगातार इंस्ट्रक्शन दे रहे थे. वही चयनित शिक्षक कह रहे थे कि जब चुनाव होते हैं उस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जाता है तो एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं होती है?

 

 चयनित शिक्षक मांग करते रहे बारिश के बीच प्रदर्शन चलता रहा. झूमा झटकी होती रही. पर सरकार अडिग रही टस से मस ना हुई..

 उन्हें क्या मिला एक बार फिर से “आश्वासन”…

 सिर्फ और सिर्फ आश्वासन..

 

 भारी विडंबना है, स्वर्णिम मध्यप्रदेश किस तरफ जा रहा है.. शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्रीकिसी के बयान सामने नहीं आए.

 चयनित शिक्षक की यह स्थिति हुई कि एक चयनित शिक्षक प्रदर्शन से लौटने के बाद अपनी जान दे दी.

 राजधानी भोपाल में वह भर्ती के लिए आए थे पर उन्हें अर्थी मिली… क्या इसी मध्य प्रदेश की कल्पना हमारे पूर्वजों और हम सब ने की थी. मासूम बच्चों के साथ महिलाएं राजधानी पहुंची पर उनके हाथ सिर्फ निराशा लगी.

 मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ ऐसे प्रदर्शन नए नहीं है,जब चुनाव आते हैं तो बड़ी-बड़ी बातें बड़ी-बड़ी बातें किए जाते हैं पर फिर वादा खिलाफी हो जाती हैं.

 आगे आने वाला समय कैसा होगा इसकी कल्पना ना हम करना चाहते हैं और ना ही कर सकते हैं. हां फिर भी एक उम्मीद जरूर करेंगे कि सरकार इन्हें सेवा मे ले. बेरोजगारी दूर हो. सरकार के सभी वादे पूरे हैं

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