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पेट्रोल-डीज़ल से केंद्र और राज्य सरकारों ने कमाए करोड़ो रुपए, 8 सालों में इतनी बढ़ गई कीमतें 

नई दिल्ली : तेल कीमतों में लगी आग से आम आदमी की मुश्किलें भले ही बढ़ गई हों, लेकिन इससे सरकारी खजाना खूब भरा है और भरता रहेगा, फिर चाहे वो केंद्र सरकार का हो या राज्य सरकारों का। 

दरअसल, इस समय पेट्रोल पर केंद्र सरकार 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये की एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, 2014-15 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 99 हजार 068 करोड़ रुपये कमाए थे। जबकि, 2020-21 में उसकी 3.73 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। वहीं, 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 1.70 लाख करोड़ रुपये कमा लिए। 

इधर, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से राज्य सरकारों की कमाई भी बहुत होती है। 2014-15 में राज्यों ने 1.37 लाख करोड़ रुपये कमाए थे। 2020-21 में ये कमाई बढ़कर 2.02 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक ही राज्य सरकारों ने इस टैक्स से अपने खजाने में 1.21 लाख करोड़ रुपये भर लिए। 

केंद्र की तरह ही राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल पर वैट, सेल्स और अलग-अलग तरह के टैक्स वसूलती हैं, यही वजह है कि रिफायनरी से निकलने के बाद आम आदमी के पास आते-आते तक पेट्रोल-डीजल के दाम दोगुने हो जाते हैं। 

PPAC के मुताबिक, 8 साल में पेट्रोल की कीमत 45% और डीजल की कीमत 75% तक बढ़ गई है। 

वहीं, बीते 20 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के महंगे होने का तर्क दिया जा रहा है। 

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