भोपाल : रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत, 1920 मरीजों के परिजन भटक रहे, जवाब एक "स्टाॅक नहीं है"
मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना बेकाबू होता जा रहा हैं। यहां आए दिन रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। हालात ये है कि अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत तो शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही अब रेमडेसिविर के इंजेक्शन के लिए भी हाहाकार मच रहा हैं। दुकान पर लिखा है 'रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टाॅक नहीं है, अस्पताल में संपर्क करें। भोपाल में कई जगहे हालात ये है कि एक इंजेक्शन के लिए लोग सुबह से ही लाइन में लग रहे हैं। लोग अपने किसी ना किसी रिश्तेदार को महामारी से बचाने के लिए घंटों धूप में तप रहा हैं। भीड़ इतनी कि धक्का-मुक्की की स्थिति बन रही हैं। बावजूद इसके इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं।
शहर के 51 कोविड अस्पतालों में 2400 भर्ती हैं, इनमें से 1920 मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। बता दे कि एक मरीज को छह डोज लगते हैं, लेकिन अभी कुछ मरीजों को इसका एक डोज लग चुका है, दूसरे के लिए वो परेशान हैं। जो पुराना स्टॉक है, वो दो दिन पहले खत्म हो गया। ये शहर के कई कोविड सेंटर्स के मेडिकल स्टोर्स पर भी नहीं हैं। हालात ये हैं कि शहर के जिन पांच मेडिकल स्टॉकिस्ट को सीधे कंपनी से खरीदकर ये इंजेक्शन बेचने की अनुमति है, उनके यहां 6 दिन से इंजेक्शन नहीं आया।
एक स्टॉकिस्ट ने बताया कि कई मरीजों के परिजनों ने 10 से 12 दिन पहले ही इंजेक्शन की एडवांस बुकिंग कर ली। पैसे भी दे दिए, लेकिन उन्हें अब तक सप्लाई नहीं मिली। हर दिन इंजेक्शन के लिए एक हजार से ज्यादा फोन आ रहे हैं। वहीं, पल्मोरी एक्सपर्ट डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि रेमडेसिविर एक एंटी वायरल ड्रग हैं। ये लंग्स इंफेक्शन होने के पहले सप्ताह में लगना जरूरी होता हैं। चूंकि पहले सप्ताह में वायरस वायरीनिया फेस में होता हैं। वह मल्टीप्लाय होता हैं। पहले दिन इसके दो डोज दिए जाते हैं। फिर हर दिन-एक एक डोज पांच दिन तक लगती हैं।
इंजेक्शन की किल्लत के बीच राज्य सरकार का दावा है कि किसी को परेशानी नहीं होने देंगे। कैबिनेट बैठक में तय हुआ कि सरकार हर महीने एक लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदेगी। 50 हजार का ऑर्डर दे दिया हैं। इन्हें प्रोटोकॉल के तहत गरीब व जरूरतमंदों को दिया जाएगा। दो दिन में 35 हजार इंजेक्शन अस्पतालों में भेज दिए जाएंगे। फिलहाल कलेक्टर ने इसकी उपलब्धता और सप्लाई पर निगरानी के लिए एक कमेटी बना दी है और इन पांच स्टॉकिस्ट की शॉप्स के बाहर तीन-तीन सिपाही निगरानी के लिए बैठा दिए हैं। अब सरकार की देखरेख में ही ये इंजेक्शन बिकेगा।
गौरतलब है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन फरवरी में आसानी से उपलब्ध था। मार्च के अंतिम हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते में ये आउट ऑफ स्टॉक हो गए। जिनके पास कुछ इंजेक्शन बचे भी हैं, तो वो दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं।