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MP:- अतिथि विद्वानों ने प्रदेशाध्यक्ष वी डी शर्मा को लिखा पत्र, नियमितीकरण की लगाई गुहार

  • अतिथिविद्वानों ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को पत्र लिखकर फालेन आउट अतिथिविद्वानों की जल्द बहाली व नियमितीकरण की लगाई गुहार
  • कोरोना संकट के दौर में भुखमरी का शिकार हो रहे हैं अतिथिविद्वान

भोपाल :-मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)की उच्च शिक्षा को बीते दो दशकों से पोषित करने वाले अतिथिविद्वान सरकारी उदासीनता से आज स्वयं बेरोजगारी व भुखमरी के दोराहे पर खड़े है।
हाल यह है कि उच्च शिक्षित व अध्यापन का लंबा अनुभव रखने वाले ये महाविद्यालयीन अतिथिविद्वान (Atithividwan)कोरोना काल के इस संकटकालीन समय मे  रोज़ी रोटी की गंभीर समस्या से जूझ रहे है। कुछ बेरोजगारी के दंश को चुपचाप सहन कर रहे है जबकि कुछ अपने परिवार के भरणपोषण के लिए मजदूरी तक करने को मजबूर है। यह मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था की आधुनिक तस्वीर है। कांग्रेस सरकार में लगभग 2700 अतिथिविद्वानों को सेवा से फालेन आउट करके बेरोजगार कर दिया था तथा नई सरकार के गठन से इन अतिथिविद्वानों को पुनः नौकरी पर रखे जाने की उम्मीद बढ़ी थी। किन्तु कोरोना संकट के कारण इसमे भी अनावश्यक विलंब हो रहा है। फलस्वरूप अतिथिविद्वानों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है। उक्त बातें अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने एक लिखित विज्ञप्ति के माध्यम से कही हैं। 
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को प्रेषित किया गया पत्र:-
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी आशीष पांडे ने कहा है कि मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह (Dr.Devraj Singh) ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा (V D Sharma)को पत्र लिखकर अतिथिविद्वानों की पीड़ा एवं दुर्दशा से अवगत कराया है। पत्र में कहा गया है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वचन देने के बाद भी अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण के संबंध में कोई प्रयास नही किये बल्कि इससे उलट लगभग 2700 अतिथिविद्वानों को सेवा से फालेन आउट करके बेरोजगार कर दिया था। फलस्वरूप राजधानी भोपाल में शाहजाहानी पार्क (Shahjahani Park)के चर्चित आंदोलन की शुरुआत हुई। जिसमें स्वयं मुख्यमंन्त्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh) गोपाल भार्गव(Gopal Bhargav), डॉ नरोत्तम मिश्रा(Dr. Narottam Mishra)डॉ सीताशरण शर्मा जैसे अग्रिम पंक्ति के भाजपा नेताओं ने पहुच कर अतिथिविद्वान नियमितीकरण की मांग का समर्थं किया था। यही नही इसी मुद्दे पर विधानसभा की कार्यवाही तक भाजपा के विरोध के कारण रोकनी पड़ी थी। तथा अतिथिविद्वानों के मुद्दे के कारण ही प्रदेश से कमलनाथ सरकार की विदाई भी हो गई। सरकार तो बदल गयी किन्तु अतिथिविद्वानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
फालेन आउट अतिथिविद्वानों की अविलंब की जाए बहाली:

अतिथिविद्वान डॉ कुसुम चौधरी और शशांक शर्मा के अनुसार आज भी लगभग 1800 अतिथिविद्वान सेवा से फालेन आउट होकर कोरोना संकट के इन दौर में, घोर आर्थिक विपन्नता के बीच बेरोजगारी का दंश झेल रहे है। हाल यह है कि अपने परिवार का भरण पोषण करने अतिथिविद्वान आज मजदूरी तक करने को विवश है। जबकि आर्थिक तंगी व बेरोजगारी से व्यथित होकर कई अतिथिविद्वान आत्महत्या जैसा घातक कदम तक उठा चुके है। जबकि कई अतिथिविद्वान आज अपने अनिश्चित भविष्य और आर्थिक विपन्नता के कारण पैरालिसिस, हाइपरटेंशन जैसी गंभीर बीमारियों के चपेट में है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा की ओर से भाजपा(BJP) के प्रदेश संगठन के मुखिया से यह प्रार्थना की गई है कि अविलंब फालेन आउट अतिथिविद्वानों को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जल्द  सेवा में वापस लिया जाए तथा अतिथिविद्वानों की रुकी हुई नियमितीकरण की प्रक्रिया को एक बार पुनः त्वरित गति से प्रारम्भ किया जाए। जिससे कोरोना काल के इस संकटकालीन समय मे अतिथिविद्वान भी आर्थिक विपन्नता से दूर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

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