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झूठी आशा-दिलासा देकर अतिथि विद्वानों की भावनाओं के साथ खेल रही है सरकार!

झूठी आशा-दिलासा देकर अतिथि विद्वानों की भावनाओं के साथ खेल रही है सरकार!

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- मध्यप्रदेश में कोई भी सरकार हो अब तो ऐसा लगता है जैसे इनकी शोषणकारी नीतियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेंगी. 
 जब तक कमलनाथ सरकार थी तब तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने खूब झूठ ढकोसलों के साथ अतिथि विद्वानों का शोषण किया… उन्हें हर रोज आश्वासन देते रहे कि सभी का नियमितीकरण होगा पर करीब 2000 अतिथि विद्वानों को फॉलन आउट कर बाहर का रास्ता दिखा दिया,अतिथि विद्वानों की उम्र अब इतनी हो गई है कि उनको युवा उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा कराना न्याय संगत नहीं होगा. 
 अतिथि विद्वानों ने अपने जीवन रक्षा के लिए छिंदवाड़ा से लेकर भोपाल तक 4 महीने तक आंदोलन किया पर बेहतर कोई भी परिणाम सामने नहीं आया.. 
 अतिथि विद्वानों के स्थिति जस की तस है. 
 अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष सुरजीत सिंह भदौरिया(Surjeet Singh Bhadoriya) का कहना है कि आए दिन अतिथि विद्वान साथियों की स्थिति बिगड़ती जा रही है, पांच अतिथि विद्वानों ने अपनी जान की बलि दे दी, हम सभी अतिथि विद्वानों की मनोदशा ऐसी हो गई है कि अब समझ में नहीं आ रहा है कि किसके सामने अपनी व्यथा रखें. 
 जब तक शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) विपक्ष में थे तब तक उन्होंने धरना स्थल पर आकर हमारा खूब साथ दिया और कहा कि सूबे में हमारी सरकार बनते ही सभी अतिथि विद्वानों(Atithividwan) का नियमितीकरण होगा.
 शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की, पर अभी तक अतिथि विद्वानों के हित में कोई भी फैसला नहीं लिया गया है..
 हम सभी अतिथि विद्वान लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द हमारी सेवा में बहाली की जाए.. ताकि फिर कोई भी अतिथि विद्वान आत्महत्या जैसे कठोर कदम ना उठाए…
 शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि “टाइगर जिंदा है” और हम उसी टाइगर का इंतजार कर रहे हैं जो हमें न्याय दिलाएंगे.

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