अगर जल्द नियमितीकरण नहीं होता है तो मजबूरन करेंगे आंदोलन:- फालन आउट अतिथिविद्वान
अगर जल्द नियमितीकरण नहीं होता है तो मजबूरन करेंगे आंदोलन:- अतिथि विद्वान
भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- लॉकडाउन के बीच अतिथि विद्वान आर्थिक संकट से लगातार जूझ रहे हैं. कांग्रेस सरकार की शोषणकारी नीतियों के कारण आर्थिक मानसिक प्रताड़ना से 5 अगस्त विद्वानों ने फांसी आत्महत्या कर ली. अतिथि विद्वान लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द सेवा में बहाल किया जाए. इस वक्त करीब 1800 विद्वान व्यवस्था से बाहर हैं.
विद्वानों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोनावायरस नौकरी से किसी को भी नहीं हटाया जाएगा सभी को सैलरी मिलेगी पर वर्तमान में बीजेपी की सरकार मध्यप्रदेश में है, पर अधिक विद्वानों की दुर्दशा उसी प्रकार हो रही है जिस प्रकार तत्कालीन सरकार में हुई. अतिथि विद्वान आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष सुरजीत सिंह भदौरिया का कहना है कि अगर हमारा जल्द से जल्द नियमितीकरण नहीं किया गया तो आने वाले समय में ना जाने कितने अतिथि विद्वान आत्महत्या करने को मजबूर होंगे. विद्वानों ने सरकार से गुजारिश की है कि उपचुनाव के पहले सभी फॉलन ऑफ अतिथि विद्वानों को अंदर लेकर सभी का नियमितीकरण किया जाए, नहीं तो हमें मजबूरन इसको रोना काल के दौरान आंदोलन करना पड़ेगा..
सरकार के सभी कार्य हो रहे हैं पर सिर्फ अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण रुका हुआ है..
हम सब की गुजारिश है कि जल्द से जल्द हमें सेवा में लें.