16 साल बाद आज आया वो दिन, जब कांग्रेस को पड़ी दिग्विजय की ज़रूरत! नाथ चले दिग्गी की राह पर
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार का 1 साल सफलतापूर्वक गुज़र चूका हैं। इस एक साल में सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के लिए कई फैसले लिए। लेकिन शायद अब उन्हें फैसले लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। अब सीएम कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह की रह पर निकल पड़े हैं।
खबर है कि कमलनाथ सरकार दिग्विजय सरकार की तर्ज पर शराब का कारोबार समूहों के हाथ में देने जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक कमलनाथ सरकार आबकारी नीति में जल्द ही बड़ा बदलाव करेगी। इसके लिए आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी हैं।
दिग्विजय सरकार में ये थी नीति
आज से 16 साल पहले यानी दिग्विजय सिंह की सरकार में शराब का कारोबार समूहों के ही हाथ में था। अब सीएम कमलनाथ भी दिग्विजय की राह का अनुसरण करते हुए आबकारी नीति में बड़े बदलाव करने जा रहे हैं। मालूम हो कि भाजपा के सत्ता में आने पर यह नीति बदल दी गई थी। अब एक बार फिर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही यह नीति लागू होने जा रही हैं।
क्या होगा इस नई नीति में
- इस नई नीति के तहत एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता हैं।
- शराब की दुकानें अलग-अलग नीलाम करने के बजाए ठेकेदारों के समूहों को एक या दो जिलों की सभी दुकानें देने की तैयारी हैं।
- एक अप्रैल से पहले शराब दुकानों की नए सिरे से नीलामी प्रस्तावित हैं।
- आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी हैं।
- प्रयास किया जा रहा है कि नीति में जल्द से जल्द बदलाव कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि अभी प्रदेश में करीब 1242 शराब कारोबारी है , इनमें से 700 के पास शराब की दुकानें हैं। वही, लगभग पांच सौ ऐसे ठेकेदार हैं, जिनके पास दो दुकानें हैं। नीति बदली तो यह संख्या 50 से 100 के बीच रह जाएगी।
आबकारी विभाग को फायदे की उम्मीद
आबकारी विभाग काे उम्मीद है कि इससे राजस्व बढ़ जाएगा। वर्ष 2018-19 में करीब 9000 करोड़ रेवेन्यू था, जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 11500 करोड़ रुपए कर दिया गया।