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भोपाल जूडा हड़ताल : कार्रवाई शुरू, हॉस्टल खाली करने का भेजा गया नोटिस, एस्मा के तहत FIR दर्ज करने की दी गई चेतावनी

  • मानदेय में बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर जूड़ा ने की हड़ताल 
  • भोपाल में कुछ जूडा ने हड़ताल का बहिष्कार करते हुए किया काम
  • GMC प्रबंधन ने जूडा को हॉस्टल खाली करने का भेजा नोटिस
  • एस्मा के तहत FIR की दी गई चेतावनी
  • जूडा ने कहा नहीं होगी हड़ताल वापस

​​​​भोपाल/खाईद जौहर : सीजनल फ्लू के अस्पतालों में बढ़ते मरीजों के बीच 3 हजार जूनियर डॉक्टर बुधवार से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हमीदिया अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी है। इनकी मांग है कि सरकार जुलाई महीने में जूडा की हड़ताल में शामिल डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन होल्ड करने के आदेश को वापस ले। इस बीच बुधवार को जूनियर डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग की शव यात्रा निकाली। वहीं, देर रात जूडा ने कैंडिल जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया।

वहीं, इन सबके बीच गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी इन जूनियर डॉक्टरों पर सख्ती करते हुए गुरुवार को कॉलेज प्रबंधन ने जीएमसी के 22 पदाधिकारियों को हॉस्टल खाली करने का नोटिस भेज दिया। साथ ही जूनियर डॉक्टरों को गुरुवार रात तक हड़ताल वापस नहीं लेने पर एस्मा के तहत एफआईआर की चेतावनी भी दी गई थी। 

इधर, गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की कार्रवाई भोपाल जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. हरीश पाठक ने कहा कि जीएमसी प्रबंधन की कार्रवाई पर कहा कि हम अपनी बात रख रहे है। हमारी हड़ताल वापस नहीं होगी।

कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि हड़ताल में सभी पीजी छात्र शामिल नहीं हैं और अब भी 120 छात्र हमीदिया अस्पताल में पहले की तरह सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि यह हड़ताल एक गुट द्वारा एस्मा लागू होने के बाद की जा रही है जो पूर्णत: अवैद्यानिक है।

जबकि, जीएमसी के डीन डॉक्टर जितेन शुक्ला ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पताल में कोई सेवाएं प्रभावित नहीं हुई है। सीनियर रेजिडेंट और वरिष्ठ चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। अस्पताल प्रबंधन की मानें तो सीनियर डॉक्टरों को काम पर लगा दिया था। 250 से ज्यादा सीनियर डॉक्टर और करीब 70 से भी ज्यादा एसआर और 30 मेडिकल ऑफिसर ने मोर्चा संभाला रखा था। इधर, सूत्रों की मानें तो, जुड़ा की इस हड़ताल के कारण भोपाल के हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में 10 मरीजों ने दम तोड़ दिया। वहीं, 35 ऑपरेशन टालना पड़े। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की मौत से इनकार किया है। 

गौरतलब है कि मानदेय में बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर जूड़ा ने इस साल 31 जून से 6 जुलाई के बीच हड़ताल की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद हड़ताल वापस ली, पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जूड़ा के पंजीयन पर रोक लगा दी थी। जिनका पंजीयन रोका है, उनमें जूड़ा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा, जीएमसी जूडा अध्यक्ष डॉ. हरीश पाठक और शुभम चौरसिया शामिल हैं। इन्हीं के पंजीयन रोकने के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है।

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