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गणेश उत्सव विशेष:-कैसे हुई गणेश उत्सव की शुरुआत, कोरोना ने कैसे डाला खलल? फिर भी घर घर पधारे बप्पा, जाने शुभमुहूर्त,

 

  • कोरोना वायरस के बीच मनेगी गणेश चतुर्थी

 

  • घर घर विराजेंगे विघ्नहर्ता लेकिन पांडलो की रौनक़ रहेगी फीकी

 

  • गणेश उत्सव विशेष – कैसे हुई गणेश उत्सव की शुरुआत , कोरोना का क्या रहा असर, जानिए आज का शुभमुहूर्त हमारी खास रिपोर्ट में​​​​

विशेष रिपोर्ट : गरिमा श्रीवास्तव

आज से पूरे देश भर में प्रथम पूज्य महाराज भगवान गणेश घर घर में पधार चुके हैं. भगवान गणेश के आगमन का इंतजार पूरे साल लोग करते हैं. पर इस वर्ष लोगों के इंतजार में खलल डालने के लिए कोरोनावायरस देश में पहले ही आ चुका है. जिसकी वजह से लोगों की जिंदगियों में बड़ा फेरबदल हुआ है. 
 सिर्फ लोगों की ही जिंदगी में नहीं, इसका असर कहीं ना कहीं देवी-देवताओं पर भी पड़ा है. त्योहार फीके पड़ गए.. 

 कब और कहां से हुई गणेश उत्सव की शुरुआत:- 
गणेश उत्‍सव की शुरुआत सबसे पहले महाराष्‍ट्र से हुई। महाराष्ट्र में बड़े ही धूमधाम से गणेश उत्सव का त्यौहार मनाया जाता है. हर साल लाल बाग के राजा को देखने लोग दूर-दूर से महाराष्ट्र आते हैं.गणेश चतुर्थी के दिन से इस उत्सव का आरंभ होता है और फिर 11वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ इसका समापन होता है।

भाद्र मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। शिव पुराण में यह बात कही गई है कि इस त्‍योहार को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लोग पुराने समय से इस त्यौहार को मना रहे हैं. भारत के दक्षिण और पश्चिम राज्‍यों में इस त्‍योहार की विशेष धूमधाम रहती है।  देश जब पेशवाओं के अधीन था, तब से गणेश उत्‍सव मनाया जा रहा है। सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा नामक राजमहल में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पेशवाओं के राज्यों पर अधिकार कर लिया। तब से वहां इस त्‍योहार की रंगत कुछ फीकी पड़ना शुरू हो गई। लेकिन कोई भी इस परंपरा को बंद नहीं करा सका।
 सदियों से चल रही परंपरा अब सिर्फ कुछ विशेष राज्यों तक ही सीमित नहीं रह गई है.. पूर्व के राज्यों में भी अब इस त्यौहार का प्रचलन हो रहा है. 

किसने और क्यों की थी इस उत्सव की शुरुआत:-

 जब देश पर अंग्रेजों का शासन चलने लगा उस दौरान कुछ हिंदुओं के मन में आपस में ही मतभेद होने लगा. धीरे-धीरे धर्म को लेकर लोग उदासीन होने लगे. जिसे देखते हुए महान क्रांतिकारी व जन नेता लोकमान्य तिलक ने सोचा कि हिंदू धर्म को कैसे संगठित किया जाए? ऐसा क्या किया जाए कि लोगों के विचार मेल खाएं? 
 जिसके बाद उनके मस्तिष्क में एक बात आई कि श्री गणेश ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो समाज के सभी स्तरों में पूजनीय हैं।

उन्‍होंने हिंदुओं को एकत्र करने के उद्देश्‍य से पुणे में सन 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्‍सव की शुरुआत की। तब यह तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी) तक गणेश उत्सव मनाया जाए और तब से पूरे महाराष्‍ट्र में यह उत्‍सव 11 तक मनाया जाने लगा। और फिर धीरे-धीरे यह परंपरा देश के बाकी राज्‍यों में भी फैल गई….
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त:-

पूर्वाह्न 11.07 से दोपहर 01. 42 मिनट तक

 शाम 4.23 से 7. 22 मिनट तक

रात में 9.12 मिनट से 11. 23 मिनट तक

वर्जित चंद्रदर्शन का समय – 8:47 रात से 9:22 रात तक

चतुर्थी तिथि आरंभ – 21 अगस्त की रात 11:02 बजे से।

चतुर्थी तिथि समाप्त : 22 अगस्त की रात 7:56 बजे तक।

 “लाल बाग चा राजा”के पंडाल की धूमधाम पड़ी फीकी :- 
लालबाग चा राजा' पंडाल की ख्याति दुनियाभर में फैली हुई है। गणेश उत्सव पर पूरी दुनिया से लोग लालबाग के राजा को देखने महाराष्ट्र आया करते हैं 
 इसकी शुरुआत 1934 में हुई थी। अभी तक ऐसा पहली बार हुआ है कि लाल बाग के राजा का पंडाल इस साल नहीं सजेगा.. कई जगहों पर समितियों ने यह तय किया है कि समिति के किसी एक सदस्य के घर पर गणपति बप्पा विराजेंगे… लालबागचा राजा पंडाल के अध्यक्ष ने यह फैसला लिया था कि इस वर्ष पंडाल में मूर्ति ना स्थापित करके उसके स्थान पर रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा. अध्यक्ष के फैसले का सभी लोगों ने स्वागत किया था और कई अन्य पंडाल के अध्यक्षों ने भी इस से प्रेरित होकर रक्तदान शिविर लगाने की घोषणा की है. 

इस बार कोरोनावायरस की वजह से घर में बिराजेंगे विघ्नहर्ता :-

 कोरोनावायरस महामारी के चलते इस बार पंडालों में बप्पा नहीं विराज सकेंगे. पर लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है… लोगों ने अपने घरों में भगवान गणेश की स्थापना की है. कोरोना के चलते राज्य सरकार ने सभी राज्यों में गाइडलाइंस जारी कर दी है कि इस वर्ष पंडाल ही सजाए जाएंगे. ना ही कोई जुलूस और झांकियां निकलेंगी। 

 महामारी के चलते मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को हुआ भारी नुकसान:-

 कोरोना महामारी की वजह से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने वाले कारीगरों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. न ही बड़ी मात्रा में मूर्तियां बनी, न ही बिकी. व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ. जिन छोटे कारीगरों को पूरे वर्ष इंतज़ार रहता था कि कब गणेश उत्सव आए और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो उनकी स्थिति इस वर्ष कोरोना की वजह से और डाँवा-डोल हो गई… हुनरमंद लोगों की कमाई इस महामारी की वजह से मारी गई। मजबूर होकर लोगों को गणेश चतुर्थी पर पूजा के लिए मूर्तियां बनाना छोड़ पैतृक गांव जाने को मजबूर होना पड़ गया.. 
 मूर्ति कारों को इस महामारी की मार इतनी बुरी तरह से पड़ी है कि वह यह तक नहीं समझ पा रहे हैं कि अपना कर्जा कैसे चुकाएंगे. 
 मूर्तिकार मूर्ति बनाने के सामान के लिए व्यवसायियों से कर्जा लेते हैं और फिर मूर्ति बेचने के बाद जो भी कमाई होती है उससे कर्जा चुकाते हैं पर इस महामारी की वजह से उनके सामने भारी मुसीबत आ खड़ी हुई है. यह समझ पाना मुश्किल हो गया है कि उन्होंने जिन से पैसे लिए हैं उसका कर्जा वह किस तरह से चुका पाएंगे. 
 इस महामंदी में पुरानी मूर्तियां बिकी तक नहीं है, नई मूर्तियां महीनों पहले से बनानी शुरू कर दी जाती है और हर वर्ष मूर्तिकारों को उम्मीद रहती है कि त्योहार आते आते उनकी सारी मूर्तियां बिक जाएंगी. 
 पर इस साल सब धरा का धरा रह गया है.. पंडाल में सजने वाले बप्पा अब सिर्फ घरों में विराजमान हुए हैं.. 
 पर लोगों का उत्साह जरा भी कम नहीं हुआ है. 

 इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब बप्पा का पंडाल नहीं सजा:-

 अंग्रेजों के शासन से ही देश में गणेश उत्सव का त्योहार मनाया जाता है.. पर इस वर्ष इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब भगवान गणेश का पंडाल नहीं सजा. जिसका एकमात्र कारण रहा कोरोनावायरस.. 
 कोरोनावायरस के कहर के चलते पूरे देश भर में पंडाल नहीं सजाए गए. गाजे बाजे के साथ हर साल भगवान गणेश की निकलने वाली झांकियां इस साल नहीं निकली.. गणेश उत्सव आते ही पटाखों की गूंज इस साल कम ही सुनाई दी. कोरोनावायरस के चलते सब कुछ उथल-पुथल गया… लालबाग चा राजा का इंतजार करने वाले लोग इस साल राजा के दर्शन नहीं कर पाएंगे. 
 पर लोग पूरे धूमधाम से बप्पा का अपने घर में विराजमान कर रहे हैं, मलाड के 40 पंडालों ने अलग-अलग थीम की गणेश मूर्ति स्थापित करने के बजाए 11 दिन तक ब्लड कैंप और चिकित्सा केंद्र लगाने का फैसला लिया है…. सबसे पहले लालबागचा राजा पंडाल के अध्यक्ष ने रक्तदान शिविर और चिकित्सा केंद्र लगाने का फैसला लिया था जिसके बाद मलाड के 40 अन्य पंडालों के अध्यक्षों ने प्रेरित होकर यह फैसला लिया..

 बप्पा के ऑनलाइन दर्शन के लिए की गई है व्यवस्थाएं:-
 भगवान गणेश के पंडाल चाहे ना सजे हो पर उनका दर्शन भक्तों को कराया ही जाएगा.. कई स्थानों पर बप्पा के ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्थाएं की गई हैं.. लोग ऑनलाइन भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना को देख सकेंगे.. 
 अंधेरी राजा( बॉलीवुड के गणपति ) की मूर्ति जिस जगह पर स्थापित की जाएगी उस जगह को हर 3 घंटे में सैनीटाइज किया जाएगा. अंधेरी के राजा हर वर्ष आकर्षण का केंद्र रहते हैं, पर इस साल कोरोना को देखते हुए गणपति महाराज की आरती की लिंक जूम एप पर शेयर की जाएगी…. 

 इस तरह से त्यौहार की चमक धमक पूरी तरह से फीकी पड़ चुकी है… पर लोगों को यह भरोसा है कि प्रथम पूज्य महाराज इस संकट की घड़ी को हर लेंगे…. और बहुत जल्द ही कोरोनावायरस का खात्मा इस दुनिया से होगा…

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