MP Big News : एक बार फिर "मामा" का हुआ मध्य प्रदेश
पार्टी मीटिंग के बाद लिया गया था फैसला
राजभवन में शिवराज सिंह ने ली शपथ
चौथी बार बने प्रदेश के मुखिया
करीबे महीने भर के सियासी घमासान के बीच मध्य प्रदेश कि राजनीती में बड़ा भूचाल आया प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार एक झटके में गिर गई। आज राजभवन में शपथ लेने के साथ ही शिवराज सिंह चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने। मात्र 15 महीने के सीएम कमलनाथ के इस्तीफे के बाद से कयास लगाये जा रहे थे कि एक फिर से प्रदेश कि कमान मामा शिवराज सिंह चौहान के हाथों में जा सकती। आज पार्टी मीटिंग के बाद इस नाम पर मुहर भी लग गई और तय हो गया कि प्रदेश को एक बार फिर मामा के रूप में नया मुख्यमंत्री मिलेगा। कार्यकाल भले ही नया हो पर मध्य प्रदेश के इतिहास में यह नाम अमर तो हो ही गया है।
आनन-फानन में बैठक
शिवराज के नाम पर सोमवार दोपहर पार्टी आलाकमान ने मोहर लगाई। उसके बाद आनन-फानन में बीजेपी विधायक दल की फिर बैठक बुलाई गई। इससे पहले कोरोना संक्रमण के कारण बैठक टाल दी गई थी और विधायकों को अपने क्षेत्र में जाने का निर्देश दे दिया गया था। लेकिन आलाकमान का फैसला आते ही फौरन विधायकों को भोपाल पहुंचने का निर्देश दिया गया।
कोरोना के बाद भी जल्दी
इतनी जल्दबाजी में यह फैसला क्यों लिया गया इसका अंदाज़ा लगा पाना अभी मुश्किल है। एक तरफ जहां केंद्र सरकार पब्लिक गेयथेरिंग को रोकने कि बातें करती है तो क्या ऐसे में राज्य सरकार का यह फैसला अभी ही आना अनुचित नहीं है।
राह मुश्किल थी पर मामा रुके नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए मध्य प्रदेश का चौथी बार सीएम पद पर पहुंचना आसान न था। उनकी पार्टी के कई नेता इस पद के लिए रेस में थे। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का तो नाम भी सामने आ गया था। इसके अलावा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम भी शामिल थे। लेकिन एमपी की जनता के बीच शिवराज की लोकप्रियता और राज्य का मौजूदा राजनीतिक समीकरण देखते हुए केंद्रीय आलाकमान ने आखिरकार उनके नाम पर मुहर लगाना बेहतर समझा।
फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ेगा
भाजपा सरकार बना लेती है, तब उसे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। पिछले साल महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधायकों के समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद भी उन्हें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिसमें वे जीत गए। कर्नाटक में भी 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनी। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। 6 दिन बाद ही येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इसी तरह शिवराज को भी फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा।
24 सीटों पर 6 महीने में चुनाव होंगे
विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें पहले से खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। इस तरह कुल 24 सीटें अब खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।