देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर भोपाल का कोना-कोना है धूल से प्रदूषित, लालघाटी और कोलार की हालात सबसे खराब
देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर भोपाल का कोना-कोना है धूल से प्रदूषित, लालघाटी और कोलार की हालात सबसे खराब
भोपाल. राजधानी का नाम जहां देश के सबसे स्वच्छ शहरों में दूसरे नंबर पर लिया जाता है तो वही आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भोपाल का कोई भी ऐसा कोना नही है जो धूल से प्रदूषित न हो जी हां और पूरे राजधानी में लालघाटी और कोलार की हाल तो बेहद खराब है इतनी ज्यादा कि ये सबसे प्रदूषित क्षेत्र में मापे गए है।
लालघाटी और कोलार
राजधानी में लालघाटी और कोलार रोड इलाका सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाके हैं। यहां बारीकी धूल के कण होने से हालात चिंताजनक हैं। दोनों ही इलाके में पर्टिकुलेट मैटर यानि कि पीएम-10 का स्तर क्रमश: 464 और 403 माइक्रोग्राम यानि कि क्यूबिक मीटर पाया गया है। सोमवार को जनता की लैब की ओर से राजधानी के 13 हाई ट्रैफिक मोबेलिटी वाले इलाकों की रैंडम एयर क्वालिटी की सैंपलिंग की गई। शाम के वक्त 3.45 बजे से 6.20 बजे के बीच की गई इस सैंपलिंग में सभी जगह की हवा प्रदूषित पाई गई। किसी भी स्थान पर वायु गुणवत्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्धारित मानकों की स्वीकार्य अधिकतम मात्रा से कम नहीं थी। जनता की लैब के संचालक डॉ. सुभाष पांडेय के मुताबिक, राजधानी में सभी 13 स्थानों पर सैंपलिंग के बाद पीएम- 2.5 का औसत स्तर 138 mgcm पाया गया, जो पर्मिसिबल लिमिट 50 mgcm से लगभग ढाई गुना अधिक था। वहीं, पीएम-10 का औसत स्तर 246 mgcm मिला, यह भी अपनी पर्मिसिबल लिमिट 100 mgcm से ढाई गुना अधिक रिकॉर्ड किया।
टीटी नगर स्थित एक्यू ims पर खड़े किए गए सवाल
पांडेय ने टीटी नगर स्थित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्थापित कंटीनुअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल उठाए हैं। यहां ऑनलाइन डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाए जा रहे प्रदूषण के आंकड़े लाइव होने के बजाए 24 घंटे का औसत निकालकर दिखाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, सीएएक्यूएमएस को सीएसपी ऑफिस की छत पर लगाया गया है, जो जमीन से 40 फीट ऊंचाई पर है। जबकि इंसान धरती से 10 फीट की ऊंचाई के बीच मौजूद हवा में सांस लेते है इस कारण यह सिस्टम उस हवा की गुणवत्ता सही से नहीं माप सकता, जो आम आदमी के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।