सभी खबरें

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के विवादित बयान पर भडक उठे किसान ! देश के हालात सामान्य करने में लगी सेना व बल के मनसूबों पर पानी फेर रहे केन्द्र के मंत्री और मनिस्टर ? क्या मंत्री और मनिस्टरों के विवादित बयानों पर अंकुश लगायेगी केन्द्र सरकार ??

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के विवादित बयान पर भडक उठे किसान ! देश के हालात सामान्य करने में लगी सेना व बल के मनसूबों पर पानी फेर रहे केन्द्र के मंत्री और मनिस्टर ? क्या मंत्री और मनिस्टरों के विवादित बयानों पर अंकुश लगायेगी केन्द्र सरकार ??
नई दिल्ली/राजकमल पांडे।
केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि मैं नहीं मानता कि आंदोलनकारी असली किसान, जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं. वे इस बारे में चिंतित हैं। कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं। और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं। मुझे लगता है (राज्यों में) कांग्रेस सरकारें और विपक्ष किसानों को भडका रहे हैं।
गौर तलब है कि किसान आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही केन्द्र सरकार तीनों नए कृषि कानून बिल वापस लेने के मूड पर नही थी। और अब 11 दिनों से डटे किसानों ने भी कह दिया है कि जब तक तीनों नए कृषि कानून वापस नहीं होते हैं. तब तक हम दिल्ली के द्वार में ही पडे रहेंगे। ऐसे में केन्द्र सरकार का जिद दर्शाता है कि अपने तीनों नए कृषि कानून को देश के किसानों पर जबरन थोपने की मंशा पर है। देश भर के किसान आज सड़कों पर उतर हैं, अपितु केन्द्र व राज्यों के मंत्री, मनिस्टर अब भी यही कह रहे हैं कि यह असली किसान नहीं हैं। हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और यूपी के लाखों किसान आज दिल्ली में जमे हुए हैं और कुछ अपने-अपने राज्यों की राजधानी में इस तीनों नए कृषि कानून को वापस लेने हेतु आंदोलन, प्रदर्शन और चकाजाम जैसे स्थिति है। और अब 8 दिसम्बर को भी भारत बंद का आव्हान हो रहा है, ऐसे में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री का विवादित बयान यह बताता है कि देश में चल रहे किसान आंदोलन बेबुनियाद हैं। आपको बता दें कि किसान यूनियनों से केन्द्र सरकार की 5 दौर की वार्ता हो चुकी है, 9 दिसम्बर को छठे दौर की बातचीत होगी। अपितु जिस तरह केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री चौधरी के बयान आए और किसान भडकते हुए कहा कि अगर तीनों नए कृषि कानून बिल वापस नहीं होते हैं. तो हमारा प्रदर्शन व आंदोलन जारी रहेगा। 
चिंता का विषय यह है कि मंत्री और मनिस्टरों के आ रहे विवादित बयानों से व आंदोलन और केन्द्र सरकार के अडेबाजी से क्या बीच का रास्ता निकल पायेगा। आसार कम नजर आते हैं, पर देश यह सब देख रहा है। व साथ ही राज्य मंत्री, कृषि मंत्री के बयानो पर केन्द्र सरकार को अंकुश लगाना चाहिए जिससे देश के हालात जल्द से जल्द सामान्य होने की स्थिति बन पाये। और केन्द्र सरकार यह स्वीकार करे कि जो किसान आंदोलन कर रहे हैं वह तीनों नए कृषि कानून बिल से आहत हैं और आंदोलनकर्ता कोई देश से बाहर का नही है सभी किसान इसी देश के धरतीपुत्र हैं। किसानों से केन्द्र के मंत्री और मनिस्टरों को अदबों-आदाब व लहजे से पेश आना चाहिए क्योंकि विश्व भर में भारत सबसे महनीय लोकतांत्रिक देश है और अपनी बात, मांग, जरूरत सरकारों के समक्ष रखने का हक संविधान उन्हें देता है। अगर केन्द्र के मंत्री, मनिस्टर आंदोलनकारी किसानों को देश विरोधी बताने में जुटे हैं, तो ऐसे मंत्री और मनिस्टरों पर केन्द्र सरकार से लेकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सख्त रूख अपनाना चाहिये। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button