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Outsource Employee : बिजली विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों को कब नियमित करेगी कमलनाथ सरकार, या इस वचन को भी भूल गई है कांग्रेस

 

  • वचन-पत्र में किया था वादा
  • उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के तरफ से नहीं मिला है कोई आस्वासन
  • कम सैलरी पर काम करने को मजबूर कर्मचारी
  • DEO से करवाया जाता है peon वाला काम

Bhopal Desk, Gautam Kumar :- आउटसोर्स कर्मचारी कर हैं नियमतिकरण के लिए संघर्ष। कांग्रेस ने वचन पत्र में किया था वादा। लगातार आन्दोलन करने के बाद भी कमलनाथ सरकार नियमितीकरण सम्बंधित मांगो पर अभी तक चुप बैठी हुई है।

कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कई दावे किये थे। और अभी तक 1 वर्ष के कार्यकाल को देखा जाए तो लगता नहीं है कि कांग्रेस ने अपने वचनों को पूरा किया है। अतिथि विद्वान मुंडन करवा रहे हैं। किसान कर्जमाफी के लिए रो रहे हैं और सरकार सो रही है। समस्त प्रदेश भर में अलग-अलगत विभागों में तकरीबन 45 हज़ार आउटसोर्स कर्मचारी हैं। जो अपनी मांगो को लेकर शासन को लगातार घेर रहे हैं पर शासन पर इसका कोई भी प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है।

कौन हैं आउटसोर्स कर्मचारी
आउटसोर्स कर्मचारी वे कर्मचारी हैं जिनको सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर रखा जाता है। यानी की ये सरकारी विभाग में तो हैं पर सरकारी नौकरिमें नहीं हैं। इनको वेतन ठेकेदार द्वारा मिलता है और ठेकेदार वेतन कैसे देते हैं ये आपको पता होगा। एक कर्मचारी ने अपना नाम न बताने के शर्त पर द लोकनीति को बताया कि हमारा संपूर्ण वेतन भी हमे नहीं मिलता है। यानी अगर किसी कर्मचारी का वेतन 12000 है तो उन तक सिर्फ 9000 ही पहुचते हैं बाकी या तो ठेकेदार हड़प लेता है या शायद आते ही नहीं। पुरे प्रदेश भर में सिर्फ बिजली विभाग की बात करें तो तकरीबन 40 हज़ार आउटसोर्स कर्मचारी हैं जिनमे से तकरीबन 4 से 5 हज़ार कर्मचारी राजधानी में हैं।

 

       

 

काम DEO का पद का नाम KPO
यह कर्मचारी बिजली मीटर रीडिंग से लेकर बिजली कनेक्शन, डाटा एंट्री ऑपरेटर आदि सारे काम करते हैं। एक कर्मचारी ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें एक डाटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर रखा गया था। लेकिन उसके पोस्ट का नाम DEO से बदलकर KPO रखा गया है KPO यानी की Key Punch Operator रखा गया है। इनसे कंप्यूटर ऑपरेटर का काम तो लिया ही जाता है साथ-साथ इनका आरोप है कि बड़े अफसर इन्हें नौकर जैसा ट्रीट करते हैं। यहाँ तक कि इनसे घर के काम भी करवाए जाते हैं।

कांग्रेस ने वचन-पत्र में किया था वादा
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में दावा किया था कि अतिथि शिक्षक, दैनिक वेतन भोगी, रोजगार सहायक आदि का नियातिमिकरण करेंगे। लेकिन इनमे से एक भी वादा कांग्रेस ने अभी तक पूरा नहीं किया है और इस बारे में ऐसी कोई मंशा भी ज़ाहिर नहीं की है। अतिथि शिक्षक पिछले 73 दिनों से आन्दोलन पर बैठे हैं पर सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंगी है। कांग्रेस ने जितने भी वादे किये थे उनमे से ऐसे दो-चार वादे ही हैं जिसे उन्होंने पूरा किया है। उनमे भी कई अधूरे हैं सरकार ने कहा कि कन्या विवाह की राशि 51 हज़ार कर दी गई है पर अगर आप ज़मीनी स्तर पर उतर कर देखें तो नवम्बर और दिसम्बर महीनो से कन्या विवाह की राशि दी ही नहीं गई थी।  

                           

मांगो को लेकर आन्दोलन किया तो मार के भगाया
अगस्त महीने में प्रदेश भर के बिजली विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों ने राजधानी भोपाल में सीएम कमलनाथ को उनका वचन याद दिलाने आए बिजली कंपनी के हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने वचन दिया था परंतु कंपनी उन्हे नौकरी से निकाल रही है। उस वक़्त उनका कहना था कि सरकार ने कहा था कि दो महीनो में इन्हें नियमित कर दिया जाएगा लेकिन इतने दिन बीतने के बावजूद अभी तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है।

           

 

नए नौकरी देना तो दूर पुरानो को रिटायरमेंट नहीं दे पा रहे
आर्थिक फ्रंट पर जूझ रही मध्य प्रदेश सरकार अपने खजाने को बचने के लिए और युवाओं को बेरोजगार बनाने के लिए एक नई युक्ति लाई थी। युक्ति ऐसी थी की 2020 में बड़ी संख्या में बिजली विभाग और एनी जगहों से कर्मचारी रिटायर होने वाले थे लेकिन सरकार के पास इतने पैसे नहीं थे की उनकी ग्रेजुयटी और पेंशन राशि देने के बजाय सशर्त संविदा नियुक्ति की। इसमें यह शर्त राखी गई की उन्हें तत्काल रिटायरमेंट फण्ड नहीं दिया जाएगा। 31 मार्च को प्रदेश भर में चार हज़ार से ज्यादा कर्मचारी रिटायर होने वाले थे जिससे युवाओं के लिए चार हज़ार नए रोजगारों का सृजन होता लेकिन सरकार ने युवाओं को यहाँ भी धोखा दिया है।

अब बिजली विभाग के कर्मचारियों ने 17 फरवरी को बिना में हुई बैठक में यह सुनिश्चित किया है कि ये भी प्रदेशव्यापी आन्दोलन करेंगे। अब लगता है की कांग्रेस का पतन का कारण उनका वचन पत्र ही बनेगा। उर्जा-विभाग मंत्री से एक बार जरूर यह सवाल करना चाहिए कि उद्घाटन और भूमि पूजन करने के अलावा वे और क्या क्र रहे हैं ? देश-प्रदेश में सबसे बड़ी दिक्कत बेरोज़गारी की है इसके लिए कमलनाथ सरकार कुछ भी करती नहीं दिख रही है ? यहाँ तक की इनके मंत्रियों में सामंजस्य कितना है ये आप पिछले कुछ दिनों के अखबारों को उठाकर देख सकते हैं। पर फिलहाल सवाल यह है कि क्या जीतू पटवारी के साथ प्रियव्रत सिंह भी सिर्फ शागुफे छोड़ते हैं या कुछ काम भी करते हैं।  

 

 

 

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