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ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में आदिवासी छात्रा ने लगाए आदिवासी प्रोफेसर पर चरित्र हनन के आरोप

ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में आदिवासी छात्रा ने लगाए आदिवासी प्रोफेसर पर चरित्र हनन के आरोप

  • प्रोफेसर ने छात्रा से कहा : शराब पी लो नहीं तो भुगतना होगा दुष्परिणाम

अमरकंटक/इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय पहले भी सुर्खियों में रह चुका है कभी प्रोफेसर की ग़लत तरीके से भर्ती को लेकर तो कभी कोर्स की मान्यता के बगैर कोर्स चालू रखकर बच्चों को एडमिशन देकर लेकिन इस बार मामला एक आदिवासी शोध की छात्रा की ज़िंदगी से जुड़ा हुआ है जी हां, बता दें कि छात्रा ने अपने ही प्रोफेसर पर चरित्र हनन का आरोप लगाया है

क्या है पूरा मामला

छात्रा देवलाल सिंह की पुत्री, निवासी पोस्ट पोखरा, तहसील बरही, जिला सीधी की निवासी है और विश्वविद्यालय में अंग्रेजी एवं विदेशी विभाग में पीएचडी की शोध छात्रा है,  ऊपर तस्वीर में जो मुस्कुराता हुआ हसीन चेहरा आप देख रहे है इस चेहरे के पीछे वो चेहरा छुपा है जिसने किसी लड़की की इज्ज़त को तार-तार करने के सपने सजाएं थे और तो और लड़की को मजबूर करने का भरसक प्रयास भी किया था। बता दें कि ये वही डॉक्टर संतोष कुमार सोनकर है जिनके  निर्देश में छात्रा शोध करने का काम कर रही है। छात्रा अनुसूचित जनजाति की बताई गई है, 29 जुलाई साल 2017 में जब से डॉक्टर संतोष कुमार सोनकर को शोध निर्देशक बनाया गया है, तब संतोष कुमार सोनकर शोध निर्देशक होने के कारण लगातार उसके साथ छेडख़ानी कर रहे हैं, तथा दूषित नीयत के कारण वो छात्रा पर लगातार दबाव बनाने का काम भी कर रहे हैं। बता दें कि छात्रा का यें भी आरोप है कि छुट्टियों के वक्त जैसे गर्मी की छुट्टी या फिर सेमेस्टर के बाद सर्दियों की छुट्टी में जब कोई नहीं होता और पूरा डिर्पाटमेंट में कोई नहीं रहता है, उस समय भी बुलाने की बात कहीं जाती है, इतना ही नही शाम साढ़े 5 बजे के बाद अपने चेम्बर में बुलाने का काम करते हैं। जबकि नियम के मुताबिक शाम के बाद लड़कियों का विभाग में आना प्रतिबंधित है। इसके बाद शोधकर्ता छात्रा का आरोप है कि उसे डिण्डौरी, करंजिया चलने के लिए बाध्य किया जाता है और लौटते समय उन्होंने खुद भी शराब पी और मुझ पर भी शराब पीने का दबाव डाला, बार-बार शोध निर्देशक द्वारा यह धमकी दी जाती रही कि अगर मेरी बात नहीं मानी तो इसका दुष्परिणाम भोगना पड़ेगा।

यूनिवर्सिटी और छात्रा

जब छात्रा ने यूनिवर्सिटी में इस बात की शिकायत की गई तो यूनिवर्सिटी ने छात्रा की बात सिरे से ख़ारिज कर दी और अपने प्रोफेसर का साथ दिया गया जिसके बाद छात्रा की मदद के लिए एबीवीपी के छात्र संघ के लोग सामने आए और उन्होनें छात्रा का साथ देते हुए न्याय की आवाज़ को बुलंद किया।

आदिवासी विश्वविद्घालय की आदिवासी छात्रा को आखिर न्याय कब मिलेगा। क्या इसी तरह हर बार की तरह लड़की को बदनाम होना पड़ेगा,और पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन मौन बैठा रहेगा और अपने यूनिवर्सिटी को लड़कियों के शोषण का अड्डा बनाता रहेगा जहां न्याय की कोई जगह ही नही है,आपको बता दें कि जब छात्रा ने यूनिवर्सिटी में इस बात की शिकायत की थी तब वहां के आदिवासी कुलपति ने भी उसका साथ नही दिया

 

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