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जबलपुर के ये दो मुख्यालय छिनने वाले हैं,एक के बाद एक हो रहा छल

जबलपुर/भारती चनपुरिया – : जबलपुर(Jabalpur)शहर में मध्यप्रदेश(Madhypradesh) पावर मैनेजमेंट कंपनी व कौशल विकास संस्थान का मुख्यालय है, लेकिन अब इनका अघोषित मुख्यालय अब भोपाल हो गया। जबलपुर शहर के विकास को लेकर जन प्रतिनिधियों के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं।अब कहा जा रहा है  है कि शहर में जो सौगातें हैं, वे भी अब एक के बाद एक छिनती जा रही हैं। राजनीतिक उदासीनता के कारण जबलपुर के विकास की उम्मीदें भी धूमिल पड़ रही हैं।विभाग के प्रमुख अधिकारी सहित अधिकांश स्टाफ अब भोपाल में बैठ रहे हैं। अब शहर में रोज़गार के अवसर बढ़ाने और कई बड़े उद्योगों की स्थापना घोषणा तक ही सीमित रह गया  हैं। इससे बेरोज़गारी व युवाओं का पलायन भी बढ़ रहा है।

पवार मैनेजमेंट कंपनी व  कौशल विकास संस्थान का अघोषित मुख्यालय भोपाल में बना – :

मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी का मुख्यालय शक्तिभवन जबलपुर में है।अभी तक यहां से ही इसके सभी कार्य संचालित होते हैं।लेकिन अब कंपनी के डायरेक्टर भोपाल से ही कार्य संचालित कर रहे हैं। अब यहां से  स्टाफ को भोपाल जाने के निर्देश भी दिए गए थे। और कुछ स्टाफ तो भोपाल चला भी गया है। वित्त, राजस्व सहित अन्य कार्यो के लिए यहां से अधिकारी फाइल लेकर भोपाल जाते हैं।अब बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस कार्यालय को पूरी तरह से भोपाल स्थानांतरित करने की तैयारी है।

कौशल विकास संस्थान अभी जबलपुर में है – :

जबलपुर में कौशल विकास संस्थान का मुख्यालय है, लेकिन संचालक यहां नहीं बैठते हैं। वे भोपाल में बैठते हैं और संस्थान के ज्यादातर कार्य भोपाल से हो रहे हैं। अब इस कार्यालय को भोपाल ले जाने की तैयारी है।

इससे पहले  दो प्रमुख कार्यालय छिन गाय है – :

जबलपुर के मेडिकल कॉलेज परिसर में आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र था। इसे यहां से स्थानांतरित कर दिया गया है। इसी तरह से लोक निर्माण विभाग के एक कार्यालय को भी शहर से स्थानांतरित कर दिया गया है।

अब ये उम्मीदें भी टूटीं गई है – :

अभी तक उर्वरक कारखाना नहीं लगा जो कि 2014 में जबलपुर में उर्वरक कारखाना स्थापित कर इसमें 5 हजार लोगों को रोजगार देने की घोषण हुई थी। बरगी व पनागर में जमीन भी तलाशी गई। बाद में यह प्रोजेक्ट उखड़ गया।

अभी तक प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है – :

जबलपुर व आसपास का क्षेत्र सिंघाड़ा, बासमती धान का बड़ा उत्पादक अधिक मात्रा में होता है। प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण यहां से कच्चा माल दूसरे राज्यों में चला जाता है। किसानों को उनकी उपज का सही दाम भी नहीं मिल रहा है।

इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की दावेदारी की थी – :

जबलपुर को इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के लिए दावेदारी की जा रही थी, लेकिन इस यूनिवर्सिटी की सौगात को भी दूसरे शहरों में अब स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।

एसईजेड का  सपना भी टूटा गया – :

जिले में सिहोरा और उमरिया-डुंगरिया औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2008 एवं 2009 में स्पेशल इकॉनॉमिक जोन (एसईजेड) की स्थापना की गई थी। प्रदेश में ऐसे गिने-चुने जिले हैं, जहां पर दो एसईजेड स्वीकृत हुए थे।अब इन जगहों पर निर्यातक औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जानी थी, लेकिन एक भी इकाई स्थापित नहीं हो सकी। ऐसे में केंद्र सरकार ने कुछ साल पहले दोनों एसईजेड को डी नोटीफाइड कर दिया है।

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