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गणेश चतुर्थी विशेष: गणपति बप्पा के हैं कई नाम, जानें एकदंत की पौराणिक कथा 

गणेश चतुर्थी विशेष: गणपति बप्पा के हैं कई नाम, जानें एकदंत की पौराणिक कथा 

 

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- आज से देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है भगवान श्री गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य माना गया है. धूमधाम से गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को घर-घर, पंडालों में स्थापित किया जाता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि चौथ को देशभर में गणेश पूजा होती है.

 भगवान श्री गणेश के कई नाम हैं. उनमें से एक नाम है एकदंत

 भगवान श्री गणेश के हर नाम के पीछे कोई ना कोई कथा है. आज हम आपको एक दंत के पीछे की पौराणिक कथा बताते हैं.

इसके अनुसार एक बार भगवान शिव शंकर और मां पार्वती जब अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे तो गणेश जी को उन्होंने मुख्य द्वार पर बैठा दिया. माता-पिता ने आदेश दिया कि किसी को भी श्री गणेश अंदर ना आने दें.

 गणेश ने माता-पिता की आज्ञा के अनुसार वहीं आसन जमा लिया. थोड़े ही समय बाद शिव शंकर के भक्त परशुराम जी वहां पहुंचे और भगवान शंकर से भेंट करने की इच्छा व्यक्त की.

 श्री गणेश ने माता-पिता की आदेश के अनुसार उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया. इस पर परशुराम को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ गया, वे क्रोध से लाल हो गए.

बार-बार परशुराम के कहने के बाद भी जब श्री गणेश ने उन्हें शिव जी से मिलने की अनुमति नहीं दी तो क्रोध में परशुराम ने बिना कुछ सोचे समझे अपने फरसे से श्री गणेश पर हमला किया और उनका एक दांत टूट गया. दांत टूटने से गणपति दर्द से कराहने लगे, उनकी पीड़ा सुनकर मां पार्वती वहां पहुंच आईं.

पुत्र को ऐसी अवस्था में देख मां क्रोधित हो गईं और उन्होंने दुर्गा का रूप धारण कर लिया. मां का रौद्र रूप देख परशुराम उनके चरणों में गिर गए और माफी मांगी. इसके साथ ही श्री गणेश का नाम एकदंत पड़ा..

 

जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजन विधि 

सबसे पहले प्रातः स्नान कर ले, स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

इसके बाद तांबे या फिर मिट्टी की गणेश जी की प्रतिमा लें।

फिर एक कलश में जल भरें और उसके मुख को नए वस्त्र से बांध दें। फिर इस पर गणेश जी की स्थापना करें।

गणेश भगवान को सिंदूर, दूर्वा, घी और 21 मोदक चढ़ाएं और उनकी विधि विधान से पूजा करें।

गणेश जी की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांट दें।

10 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में गणेश जी की मूर्ति को एक, तीन, सात और नौ दिनों के लिए घर पर रख सकते हैं।

ध्यान रहे कि गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।

 

इसी तरह से हम आपको हर रोज भगवान श्री गणेश के हर नाम के पीछे की पौराणिक कथा बताते रहेगे 

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