इंदौर:- स्कूल प्रशासन द्वारा दिए जा रहे मानसिक तनाव से तंग आकर छात्र ने की आत्महत्या, रोज मांग रहे थे फीस
स्कूल प्रशासन द्वारा दिए जा रहे मानसिक तनाव से तंग आकर छात्र ने की आत्महत्या, रोज मांग रहे थे फीस
इंदौर / गरिमा श्रीवास्तव:- हरेंद्र सिंह गुर्जर नाम के दसवीं क्लास के बच्चे ने स्कूल प्रशासन द्वारा लगातार दिए जा रहे हैं मानसिक तनाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली. प्रिंसिपल द्वारा लगातार पीस की मांग की जा रही थी.
इंदौर के महालक्ष्मी नगर में अपने दीदी जीजा के साथ रहने वाला हरेंद्र सिंह गुर्जर अपने ही घर में परेशान होकर फांसी के फंदे पर झूल गया. मौके पर पहुंची पुलिस को घटनास्थल से कोई भी सुसाइड नोट अभी तक बरामद नहीं हुए हैं.
हरेंद्र सिंह गुर्जर के जीजा दिलीप सिंह गुर्जर ने बताया कि हरेंद्र के पिता माता गांव में रहते थे और हरेंद्र अपनी बहन के साथ इंदौर में रहता था. जीजा ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि वह दसवीं कक्षा का सीबीएसई का छात्र था डेढ़ महीने पहले रिजल्ट आने पर उसे पूरक मिले थे जिसके बाद परीक्षा 22 सितंबर को होनी थी. बीते दिनों स्कूल से फोन आया था कि फॉर्म भरने के लिए ₹200 जमा कर दो हरेंद्र ने फॉर्म के लिए ₹200 जमा कर दिए थे. पर फिर स्कूल के प्रिंसिपल और अकाउंट विभाग से लगातार फोन आने लगे. हरेंद्र की बहन को भी स्कूल प्रशासन द्वारा फोन किया गया जिसके बाद जीजा ने आश्वासन दिलाया कि अभी तत्काल में वह ₹3000 जमा कर देंगे पर स्कूल प्रशासन ने कहा कि ₹7000 और जमा करो वरना टीसी दे देंगे जिसकी जानकारी हरेंद्र को लगी और वह परेशान हो गया.
हरेंद्र के जीजा ने उसे समझाया कि तुम चिंता मत करो और फिर वह अपनी शराब की दुकान पर चले गए. कुछ ही देर बाद हरेंद्र कमरे में फांसी से लटक कर झूल गया. हरेंद्र की बहन ने जब यह सब देखा तो वह चीज पड़ी आसपास के लोग आए और शव को उतारा.. हरेंद्र के दीदी और जीजा का कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट की वजह से ही हरेंद्र ने आत्महत्या की है..
अक्सर ऐसा देखा जा रहा है कि स्कूल प्रशासन द्वारा फीस जमा करने को लेकर लगातार बच्चों के घर पर फोन किया जाता है. समय पर पैसा ना होने की वजह से बच्चे परेशान हो जाते हैं और उनकी मनोदशा अब कुछ इस तरह बिगड़ गई की हरेंद्र ने आत्महत्या कर ली..
विवेक तंखा ने ट्वीट करते हुए कहा कि बहुत बहुत दुखद। मेरा दिल रो रहा है। तमाम इंदौर के जन प्रथिनिधि तक यह दुखद बात क्यों नहीं पहुँची। हम पे धिक्कार है की हमारे बच्चों का यह हश्र हो रहा है। क्या यह दिन देखने के लिए हम जन प्रथिनिधि है।