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हिन्दी पत्रकारिता की हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है.”आज डरी-डरी-सी है.”-रवीश कुमार

रेमॉन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित NDTV के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार ने

फिलिपिंस की राजधानी मनाली में संबोधन किया

 

 

 

मनीला: मशूहर पत्रकार जो हाल ही में रेमॉन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित किये गए एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार ने फिलिपिंस की राजधानी मनाली में संबोधन किया. मंच से स्पीच देने के बाद सवाल-जवाब के सेशन में रवीश कुमार से ऑडियंस में से अनिकेत ने पूछा, सवाल–”अगर आप और फिल्मकार अनुराग कश्यप जैसी हस्तियां, जो सवाल पूछती हैं, सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा?

रवीश कुमार ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार को जवाबदेह नहीं बना रहे हैं, बल्कि सरकार को गैर-जवाबदेह बने रहने में मदद कर रहे हैं. ट्विटर और फेसबुक ‘पार्टिसिपेटरी डेमोक्रेसी’ का भ्रम पैदा करते हैं, लेकिन वास्तव में ये डेमोक्रेसी को मार रहे हैं.”

फिलीपीन्स के नंबर से मुझे बहुत ट्रोल किया जाता है- रवीश कुमार

रवीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा, लगभग ‘दो महीने पहले जब मैं ‘Prime Time’ की तैयारी में डूबा था, तभी मेरे सेलफोन पर कॉल आया. कॉलर आईडी पर फिलीपीन्स( philippines) फ्लैश कर रहा था. मुझे लगा कि किसी ट्रोल ने फोन किया है. यहां के नंबर से मुझे बहुत ट्रोल किया जाता है. अगर वाकई वे सारे ट्रोल यहीं रहते हैं, तो उनका भी स्वागत है, मैं आ गया हूं’. ख़ैर, फिलीपीन्स के नंबर को उठाने से पहले अपने सहयोगियों से कहा कि ट्रोल की भाषा सुनाता हूं. मैंने फोन को स्पीकर फोन पर ऑन किया, लेकिन अच्छी-सी अंग्रेज़ी में एक महिला की आवाज़ थी, “May I please speak to Mr Ravish Kumar…?” हज़ारों ट्रोल में एक भी महिला की आवाज़ नहीं थी’.

हिन्दी पत्रकारिता की हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है.”आज डरी-डरी-सी है.”

रवीश कुमार ने आगे कहा, ‘मैंने फोन को स्पीकर फोन से हटा लिया. उस तरफ से आ रही आवाज़ मुझसे पूछ रही थी कि मुझे इस साल का रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार दिया जा रहा है. मैं नहीं आया हूं, मेरी साथ पूरी हिन्दी पत्रकारिता आई है, जिसकी हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है. गणेश शंकर विद्यार्थी और पीर मूनिस मोहम्मद की साहस वाली पत्रकारिता आज डरी-डरी-सी है. उसमें कोई दम नहीं है. अब मैं अपने विषय पर आता हूं’.

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