BJP मंडल अध्यक्ष चुनाव को लेकर संगठन पर हावी होती सत्ता….रायशुमारी में की गई औपचारिकता पूर्ण |
भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव को लेकर संगठन पर हावी होती सत्ता….रायशुमारी में की गई औपचारिकता पूर्ण |
मंदसौर : भाजपा मंडल अध्यक्ष के मनोनयन को लेकर पिछले 3 दिनों से लगातार सरगर्मी का बाजार पूरे जिले में गरमाया हुआ है। हर जगह मंडल अध्यक्ष बनने को लेकर लगातार दावेदार अपने आकाओं को सेट करने में लगे हैं और लगातार खबर आने का इंतजार कर रहे हैं । लेकिन मंदसौर जिले में सूत्रों की माने तो ऐसा लग रहा है कि जिन जिन मंडल में प्रबल रूप से नाम नगर इकाई के अध्यक्ष द्वारा दिए गए थे ।
- उन प्रबल नामों को पूर्ण रूप से सत्ता में बैठे मठाधीश द्वारा दबाया जा रहा है, जो भी नाम नीचे से रायशुमारी में आए थे उन नामों का पैनल भोपाल जिले में नहीं आना एक संशय की स्थिति पैदा करता है।
- बताया जा रहा है कि कई मंडलों में तो भोपाल से पैनल में सिंगल नाम आया है तो क्या आखिर वहाँ तीन लोगों का नाम नहीं आया होगा ? यह देखना बड़ा लाजमी है।
- संगठन पर सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधि पूर्ण रूप से हावी है वे अपने छर्रो को सेट करने में लगे हैं।
हम बात करें धुंधडका मंडल की तो वहां सिर्फ पैनल में एक नाम है, साथ ही सुवासरा मंडल की बात करें तो वहां दिलीप सिंह तरनोद का नाम और शामगढ़ मंडल की बात करें तो बलवंत सिंह पवार और सुनील पटेल का नाम ना होना अपने आप कई सवाल खड़े कर रहा है। मंदसौर ग्रामीण की बात करें तो शिव गुर्जर का नाम ना होना, सीतामऊ मंडल की बात करें तो दशरथ डांगी का नाम ना होना उम्रदराज व्यक्ति राधेश्याम पाथर और मनोहर बैरागी का नाम होना, दलोदा मंडल की बात करें तो हेमन्त धनोतिया, सुमित सेन का नाम ना आना, साथ ही पूरे जिले में ऐसे कई मंडल है जहां पर काम करने वाले व्यक्तियों के नाम ना आना कही न कही जनप्रतिनिधियों पर सवाल पैदा करता है | रायशुमारी की लिस्ट भोपाल जाना और वहां से ये नाम न आना संगठन से बड़ी क्या सत्ता हो गई है ये सवाल खड़ा होता है। ऐसा लगता है कि अब भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने केवल अपने लोगो को ही सेट कर संगठन को खत्म करने की व्यवस्था कर ली है।