जानिए ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिंदगी से जुड़ी 10 बड़ी बातें
जानिए ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिंदगी से जुड़ी 10 बड़ी बातें
कांग्रेस पार्टी महासचिव और युवा नेताओं में गिने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते 18 सालों से कांग्रेस के साथ रहे लेकिन अब उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा का दामन थाम लिया है। हम आपको बताएंगे सिंधिया की ज़िंदगी से जुड़ी 10 खास बातें
1- पारिवारिक ढांचा
मध्य प्रदेश की गुना सीट से साल 1971 के बाद से 9 बार सांसद रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया की 30 सितंबर 2001 को उत्तर प्रदेश में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई. बता दें कि उन्होंने 1971 में जन संघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वही उनकी मां किरण राज्य लक्ष्मी देवी नेपाल राजपरिवार की सदस्य थीं.और ज्योतिरादित्य की शादी मराठा वंश के गायकवाड़ घराने में हुई है.
2- राजनीति में पहला कदम
2001 में पिता माधवराव के निधन के तीन महीने बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके अगले साल उन्होंने गुना से चुनाव लड़ा जहाँ की सीट उनके पिता के निधन से ख़ाली हो गई थी. वो भारी बहुमत से जीते. 2002 की जीत के बाद वो 2004, 2009 और 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए. लेकिन 2019 के चुनाव में वे अपने ही एक पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हार गए.
3- 25,000 की संपत्ति विरासत में मिली
सिंधिया परिवार मध्य प्रदेश के शाही ग्वालियर घराने से आता है और उनके दादा जीवाजी राव सिंधिया इस राजघराने के अंतिम राजा थे. सिंधिया देश के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं जिनकी संपत्ति 25,000 करोड़ रुपए आंकी जाती है जो उन्हें विरासत में मिली. उन्होंने इस संपत्ति का स्रोत क़ानूनी उत्तराधिकार बताया है जिसे उनके परिवार के दूसरे सदस्यों ने अदालत में चुनौती दी है.
4- विवाद
2012 में सिंधिया एक विवाद में फँसे जब वो ऊर्जा राज्य मंत्री थे. उस साल पावर ग्रिड ठप्प हो जाने से देश भर में बिजली की अभूतपूर्व क़िल्लत हो गई. इसके अलावा उनके मंत्रालय में कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ
5- क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी
क्रिकेट के शौक़ीन ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं. वे देश के क्रिकेट संघों के संचालन को लेकर नाख़ुश रहे हैं और ख़ास तौर से स्पॉट फ़िक्सिंग मामलों को लेकर उन्होंने अपनी आपत्ति ज़ाहिर की थी.
6- 2019 चुनाव में असफलता
साल 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर की चर्चा हो रही थी उस वक्त कांग्रेस के कुछ ही नेता लोकसभा चुनाव जीते थे. उनमें से एक थे ज्योतिरादित्य सिंधिया थे जो गुना की सीट से जीते थे. लेकिन लगातार चुनाव प्रचार के बाद भी 2019 लोकसभा चुनाव में वो इस सीट से हार गए.
7- गांधी परिवार का साथ, कमलनाथ के साथ तकरार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य की नज़दीकी दिखाई तो दी. लेकिन इसका कोई खास फायदा सिंधिया को नही मिला.2014 के चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी दोनों नेता कई बर साथ दिखे. लेकिन मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनके रिश्ते उतने मधुर नहीं रहे. वो पहले भी राज्य में सरकार के काम काज से नाराज़गी जता चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए पार्टी आला कमान उनके नाम पर विचार कर रही थी. लेकिन पार्टी के भीतर कुछ वरिष्ठ नेता इससे सहमत नहीं हैं क्योंकि ज्योतिरादित्य का अधिक प्रभाव केवल चंबल इलाक़े में है, न कि पूरे राज्य में. ज्योतिरादित्य चाहते थे कि मध्य प्रदेश से पार्टी उन्हें सांसद बना कर राज्यसभा में भेजे, लेकिन मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह के बाद एक बार फिर उन्हीं को या फिर प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा के लिए नामित करने की बात होने लगी
8- खुद की सरकार के हुए खिलाफ
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के ख़िलाफ़ ज्योतिरादित्य कई मुद्दों को लेकर लगातार बोलते रहे हैं. फ़रवरी 13 को टीकमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था “2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने मेनिफेस्टो में किसान क़र्ज़माफ़ी और किए गए दूसरे वादे अगर कांग्रेस पूरे नहीं करती है तो वो इसके ख़िलाफ़ सड़को पर उतरेंगे.”
9- इस्तीफ़ा
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 9 मार्च को ही अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था लेकिन ये इस्तीफ़ा मार्च 10 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाक़ात के बाद ही सार्वजनिक किया गया है. इनसे इस्तीफ़े पर भी 9 मार्च की तारीख़ लिखी हुई है.
10- सियासी उठा-पटक
मार्च की 9 तारीख़ को कमलनाथ ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाक़ात की लेकिन मध्य प्रदेश में सियासी हलचल तेज़ होने की ख़बर मिलने के बाद उन्हें आननफानन में प्रदेश लौटना पड़ा. मार्च की 9 तारीख़ को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के आला नेताओं से मुलाक़ात की और प्रदेश में हो रही सियासी गतिविधियों की जानकारी दी. इसके बाद कांग्रेस के प्रवक्ता केसी वेणुगोपाल ने बयान जारी कर कहा, “पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निकाल दिया गया है.” इसके बाद अब एक तरह से ज्योतिरादित्य के लिए बीजेपी का दामन थामने के रास्ते खुल गए हैं. मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में सांसद बनाने और कैबिनेट में भी अहम पद देने का वादा किया है. हालांकि बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सिंधिया के बारे में फ़ैसला पार्टी की संसदीय समिति और विधायकों की समिति की बैठक के बाद ही लिया जाएगा.