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प्रदेश में सत्तापरिवर्तन की सुगबुगुहाट तेज़? बिकाऊ MLAs की सदस्यता ख़तरे में, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश में एक बार फिर सत्तापरिवर्तन की सुगबुगुहाट तेज़ होती नज़र आ रही हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेत्री द्वारा दाखिल की एक याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया हैं। इसकी जानकारी मप्र कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए दी। 

मप्र कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा की – बिकाऊ विधायकों की सदस्यता ख़तरे में, सुप्रीम कोर्ट में अयोग्य ठहराने की याचिका स्वीकार। सरकार गिराने के मकसद से इस्तीफा देने वाले विधायकों पर छह साल तक चुनाव लड़ने और कोई भी पद पर पाबंदी की याचिका पर सुनवाई होगी। शिवराज जी, न्याय पालिका अभी ज़िंदा हैं। 

क्या कहा गया था याचिका में 

कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने याचिका में कहा था कि सरकार को गिराने के मकसद से इस्तीफा देने की प्रथा से दलबदल को बढ़ावा मिलता हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। विधायकों के इस्तीफा देने के बाद होने वाले चुनाव से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता हैं। ऐसे में विधायकों के निजी हितों के चलते खजाने को नुकसान और जनभावना को ठेस पहुंचती हैं। 

इस याचिका में सरकार को गिराने के मकसद से इस्तीफा देने वाले विधायकों पर छह साल तक चुनाव लड़ने और कोई भी सार्वजनिक पद लेने पर पाबंदी लगाने की गुहार सुप्रीम कोर्ट से लगाई थी। 

इधर, सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने इस याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया हैं। पीठ ने इस संदर्भ में चार सप्ताह में जवाब भी मांगा हैं। 

मालूम हो कि मार्च माह में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में दमान थामा। इतना ही नहीं उनके 22 समर्थक विधायकों ने भी पार्टी से अपना इस्तीफा दिया। जिसके कुछ दिनों बाद 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस की सरकार गिर गई। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। बाद में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करके सत्ता में वापसी की। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसके मुखिया शिवराज सिंह हैं। 
 

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