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रीवा:- सत्ता परिवर्तन होते ही शिवराज का नगर निगम पर निशाना

रीवा से गौरव सिंह की रिपोर्ट  :-  प्रदेश में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की वापसी हुई है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं और बड़ी कार्रवाई करते हुए ऐसे संकेत दिए हैं कि इस बार रीवा नगर निगम उनके निशाने पर होगा। सत्ता संभालने के 24 घंटे के भीतर ही नगर निगम के आयुक्त सभाजीत यादव को हटाने का आदेश जारी किया गया है। इन्हें अपर सचिव के रूप में पदस्थ करते हुए भोपाल में अटैच किया गया है। फिलहाल नगर निगम का प्रभार जिला पंचायत के सीइओ अर्पित वर्मा को सौंपा गया है।

ऐसे कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे, क्योंकि भाजपा के कई बड़े नेताओं ने बदला लेने की सार्वजनिक रूप से घोषणा कर रखी थी। आयुक्त यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को पत्र लिखकर सुर्खियां बनाई थी। इसलिए भाजपा के नेता कई महीने से आक्रामक मूड में काम कर रहे थे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि सरकार आते ही अधिकारियों पर बदले के भाव से कार्रवाई की गई हो।
इसके पहले कमलनाथ की सरकार बनते ही रीवा, छिंदवाड़ा और ग्वालियर के नगर निगमों में विशेष टीम भेजकर भ्रष्टाचार की जांच कराई गई थी। जिसमें महापौर सहित कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया था। साथ ही करीब डेढ़ दर्जन की संख्या में अधिकारी, कर्मचारियों का तबादला किया गया था। हालांकि इसमें कई वापस आ गए हैं और भ्रष्टाचार की जो जांच कराई गई थी उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कांग्रेस के कार्यकाल में भाजपा नेताओं और निगम के अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप लंबे समय तक चला है। सांसद, विधायक सहित कई नेताओं ने बिना अनुमति के निगम के परिषद भवन का लोकार्पण कर दिया था, जिसके बाद निगम की ओर से एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी। महिला मोर्चा ने निगम आयुक्त को चूडिय़ां भेंटकर विरोध जताया था। साथ ही कई प्रदर्शन भाजपा की ओर से किए गए और अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से टारगेट किया गया। सरकार बनते ही भाजपा के नेताओं ने एक बार फिर ऐलान कर दिया है कि निगम की प्रशासनिक सर्जरी कराएंगे।

इन वजहों से आयुक्त सभाजीत रहे निशाने पर:-
नगर निगम के आयुक्त सभाजीत यादव भाजपा के निशाने पर लंबे समय से रहे हैं। उन्होंने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को 4.94 करोड़ रुपए का वसूली नोटिस दिया था। जिसके बाद से भाजपा की तल्खी बढ़ गई। सांसद जनार्दन मिश्रा ने तो जिंदा दफनाने तक का बयान दे डाला था। इतना ही नहीं शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में एक विरोध प्रदर्शन भी हुआ, जिसमें शिवराज ने यह तक कह दिया था कि ये कांग्रेस के एजेंट हैं, इनकी पत्नी उस पार्टी की टिकट पर चुनाव भी लड़ती रही हैं। इसके बाद आयुक्त सभाजीत ने पलटवार करते हुए आरोपों का जवाब दिया और एक लाइन यह भी जिक्र किया कि लोग हमसे डंफरों के बारे में भी जानकारी लेने आते हैं। यह शब्द भाजपाइयों को चुभ गया था। पहला निशाना आयुक्त सभाजीत यादव हुए हैं, अभी करीब आधा दर्जन की संख्या में अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। 
पुराने अफसरों की होगी वापसी:-
कांग्रेस की सरकार आते ही हटाए गए निगम आयुक्त आरपी सिंह एवं कार्यपालन यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला, एसडीओ एचके त्रिपाठी सहित अन्य की वापसी भी तय मानी जा रही है। रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला के ये अधिकारी नजदीकी माने जाते हैं। भाजपा के नेता निगम में आइएएस आयुक्त को कमान सौंपने के विरोध में हैं, इसलिए माना जा रहा है कि किसी विभागीय अधिकारी को ही जिम्मेदारी मिलेगी।

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