अधिकारियों-विधायकों पर मेहरबान "शिव राज" सरकार, उठाएगी टोल टैक्स का खर्च! प्रस्ताव तैयार

मध्यप्रदेश/भोपाल – पूरे देश में अब टोल पर टैक्स चुकाने की फास्ट टैग व्यवस्था लागू हो चुकी हैं। इसके तहत सभी गाड़ियों के लिए फास्टटैग अनिवार्य कर दिया गया हैं। फास्ट टैग एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें प्रीपेड के जरिए यूनिक कोड युक्त स्टीकर जारी किया जाता है, जिसे गाड़ी के फ्रंट विंडो पर लगाना पड़ता हैं। जैसे ही गाड़ी किसी टोल पर पहुंचती है फास्ट टैग से ऑटोमेटिक टैक्स का भुगतान हो जाता हैं।
इसी व्यवस्था के तहत अब सरकारी गाड़ियों के टोल टैक्स व्यवस्था को बदलने की कवायद की जा रही हैं। पीडब्ल्यूडी और परिवहन विभाग के बीच हो रही चर्चा की मिली जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारियों और विधायकों की गाड़ियों पर टोल टैक्स का खर्च सरकार उठाने की तैयारी कर रही हैं।
दरअसल, राज्य सरकार के प्रदेश में करीब 25 हजार वाहन हैं जो शासन की सेवा में लगे हैं। अभी तक वाहन की पहचान सरकारी वाहन के रजिस्ट्रेशन से होती है और टोल पर इन वाहनों की आवाजाही फ्री थी। लेकिन फास्ट टैग की व्यवस्था लागू होने के बाद अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि इनका टोल कैसे और कौन भरेगा? यही वजह है कि इस प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है कि सरकारी गाड़ियों का टोल एकमुश्त सरकार की ओर से चुका दिया जाए। प्रदेश में MPRDC के 75 और NHAI के 48 टोल हैं।
पीडब्ल्यूडी और ट्रांसपोर्ट विभाग के बीच प्रस्ताव पर हो रही चर्चा के मुताबिक विधायकों के दो वाहन जिसके अनुसार एक वाहन तो माननीय का होगा, जबकि दूसरा उनके परिवार का रहेगा। इस तरह माननीयों के दो वाहन फास्टैग लेन पर किया जाना हैं। वहीं, पूर्व विधायकों के एक वाहन का खर्च सरकार उठाएगी।
जानकारी के मुताबिक, पूर्व विधायक प्रदेश में जिनकी संख्या 1100 के करीब है, उनके स्वयं के वाहन को मुफ्त आवाजाही की सुविधा दिया जाना प्रस्तावित हैं।
इधर. विधानसभा सचिवालय ने माननीयों को फास्टैग लेन पर आवाजाही की सुविधा मुफ्त में दिए जाने का प्रस्ताव तैयार कर परिवहन विभाग को भेज दिया हैं। हालांकि अभी इस प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि ऐसी ही कोई व्यवस्था टोल टैक्स के लिए लागू हो सकती हैं।वहीं, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि फास्टैग के मामले में अभी चर्चा चल रही हैं। इस बारे में अभी अंतिम निर्णय लिया जाना हैं।