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मजबूर जनता लुट रही:- अगर चिरायु अस्पताल से दोगुनी कीमत पर इंजेक्शन नहीं लिया तो वह नहीं लगाएंगे इंजेक्शन,"अब मरता क्या न करता"

मजबूर जनता लुट रही:- अगर चिरायु अस्पताल से दोगुनी कीमत पर इंजेक्शन नहीं लिया तो वह नहीं लगाएंगे इंजेक्शन,”अब मरता क्या न करता”

 चिरायु अस्पताल में भोपाल के  कोरोना के सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज हो रहा है. तो अब जाहिर सी बात है कि अस्पताल प्रबंधन अपनी मनमानी करेगी. चाहे इसमें जनता लूट रही हो या बर्बाद हो रही हो. इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.. 

 भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती एक युवती ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके और उनके परिजनों को कोरोना का संक्रमण हो गया है. हालांकि युवती का पूरा परिवार मध्य प्रदेश सरकार के स्कीम हेतु अस्पताल में भर्ती हुआ था पर रेमडेसीविर के इंजेक्शन लगवाने के लिए उन्हें पैसे देने पड़ रहे. जब मरीज अस्पताल के स्टोर से इंजेक्शन खरीदने गए तो पता चला कि 62 उसके लिए ₹28000 लगेंगे. जिस पर उन्होंने कहा कि अगर कोई और कंपनी के रेमदेसीविर उपलब्ध है तो उसे दे दे जिस पर स्टोर वाले ने मना किया और कहा कि उनके पास यही है. 
 फिर युवती ने बाजार से दूसरी कंपनी के रेमदेसीविर को मंगाया.. पर यह क्या अस्पताल वालों ने वह इंजेक्शन लगाने से साफ मना कर दिया. उनका कहना था कि आप हमारे वहां से ही इंजेक्शन ले. हम बाहर के इंजेक्शन को नहीं लगा सकते. 
 युवती और उनके ससुर को संक्रमण का असर ज्यादा था जिसकी वजह से उन्हें डॉक्टर ने यह इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी.. जब् बाहर के इंजेक्शन को डॉक्टर ने लगाने से मना कर दिया तो स्थिति वही वाली हो जाती है कि मरता क्या न करता. इंजेक्शन के दो पैक लगभग 60 हजार की कीमत पर खरीदे गए. 

 अस्पताल के डायरेक्टर ने कहा कि इंजेक्शन की पूरी डिटेल हमें मध्य प्रदेश सरकार को देनी होती है इसीलिए हम बाहर के इंजेक्शन को अलाउड नहीं करते हैं. जब मरीज ने कहा कि आप अपने अस्पताल के अंदर मरीजों को अपने यहां के स्टोर से इंजेक्शन लेने पर मजबूर कर रहे हैं तो डायरेक्टर ने कहा कि इंजेक्शन हमारे वहां से ही लेना होगा क्योंकि हम अपनी कोल्ड चेन मेंटेन करते हैं. 

 बता दें कि रेमडेसीविर को डब्ल्यूएचओ ने ज्यादा प्रभावी नहीं बताया है.

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