प्रणब मुखर्जी ने आखिरी किताब में लिखा : सरकार और विपक्ष के बीच कड़वाहट के लिए मोदी सरकार का अहंकार जिम्मेदार
नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी की आखिरी किताब मंगलवार को बाजार में आई। उन्होंने अपने निधन के पहले यह किताब लिखी थी। उन्होंने लिखा है की मोदी सरकार के अहंकारी और अकुशल रवैये से सत्ता और विपक्ष के बीच कटुतापूर्ण बहस हुई। हालाँकि उन्होंने इसके लिए विपक्ष के गैरजिम्मेदार रवैये की भी आलोचना की है।
किताब का नाम ‘द प्रेसिडेंसियल ईयर्स, 2012-2017' है। जिसके प्रकाशक का नाम रूपा प्रकाशन है। उन्होंने लिखा है की नरेंद्र मोदी को संसद सुचारु रूप से चलाने के लिए पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। वह संसद में अपनी उपस्थिति बढ़ाएं और एक दिखाई देने वाला नेतृत्व प्रदान करें, उन्होंने आगे लिखा। साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को पहले कार्यकाल में संसदीय संकट जैसी परिस्थिति पैदा हो गई थी। उन्होंने सरकार को इससे बचने की सलाह दी।
प्रणब दा ने आगे लिखा कि मोदी सरकार को असहमति की आवाज़ सुननी चाहिए और संसद को अक्सर सम्बोधित करते रहना चाहिए। साथ ही सरकार को विपक्ष और जनता से संवाद स्थापित करने के लिए संसद का उपयोग करना चाहिए। मुखर्जी ने कहा की यूपीए सरकार के दौरान वह विपक्षी नेताओं से हमेशा संपर्क में रहते थे, और बातचीत से जटिल मुद्दों का समाधान निकलते थे।