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कटनी : कैसे बनवाएं प्रधानमंत्री आवास…?? गरीब हितग्राहियों को ख़रीदनी पड़ रही 6000 रूपये ट्राली। … महंगी रेत

कैसे बनवाएं प्रधानमंत्री आवास…?? गरीब हितग्राहियों को ख़रीदनी पड़ रही 6000 रूपये ट्राली। … महंगी रेत

  • आवास योजना का आधा पैसा लग रहा रेत में  
  • सरपंच/सचिव पर सरकार का दवाब आवास योजना का लेकिन ग़रीब की तो सुनें सरकार औऱ अधिकारी…
  • आधे पैसों में कितना मजबूत बनेगा मकान उसमें भी घूसखोरी कम नहीं…

द लोकनीति डेस्क कटनी (ढीमरखेड़ा)
 प्रधानमंत्री आवास योजना कहने के लिए तो ग़रीबों के लिए आशा औऱ उम्मीद से भरी थी ,इससे काफ़ी हदतक ग़रीब अपने लिए पक्की छत पाने की लालसा रखता था। लेकिन मध्यप्रदेश के कटनी ज़िले की तहसील ढीमरखेड़ा के स्थानीय ग़रीब परिवार जो प्रधानमंत्री आवास योजना स्वीकृत होने के बाद भी काफ़ी निराश औऱ आक्रोशित नजऱ आ रहे है। अब उन्हे आवास योजना की लालसा नहीं रह गई क्योंकि उनका कहना है कि जब हमें मकान बनाने लिए 60-70 हज़ार तो रेत में ही लग जाएंगे और आवास योजना का आधा पैसा रेत में खर्च हो रहा है।तो हमारा मकान पूरा कैसे बन पायेगा आप ही बताओ। ….. 
दिल्ली से मोदी सरकार गरीबों के लिए योजना तो बना देती है लेकिन ज़मीनी स्तर पर योजना कितनी प्रभावी  है उसका हाल शिवराज भी नहीं ले रहे न ही उनके आला अधिकारी….
 5500-6000 रुपये रेत प्रति ट्राली, 2500 की फ़र्ज़ी रॉयल्टी !!
आवास योजना हितग्राही बब्लू नामदेव, मुन्नी बाई, भस्मा आदिवासी, विनय पटेल सहित अन्य ने बताया कि ज़िले के ढीमरखेड़ा तहसील में विस्टा कंपनी के द्वारा रेत का अवैध खनन कराया जा रहा है ,तहसील के बेलकुंड नदी, दतला नदी पर दिन रात अवैध खनन किया जा रहा है।
यह वही विस्टा कंपनी है जो लगातार ख़तरनाक हथियार दिखाकर ग्रामीणों को डराने का मामला पिछले एक  महीने पहले सामने आया था इस कंपनी के गुर्गों के नाम सहित उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज हुई लेकिन आज़तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा लगता है जैसे प्रशासन ने इनके नाम की चूड़ियां पहन रखी है औऱ लगातार स्थानीय प्रशासन इनका साथ भी दे रहा है।

प्रशासन की लापरवाही जनता पर भारी-  स्थानीय तहसील स्तर के अधिकारियों के द्वारा रॉयल्टी चेक नहीं की जा रही है , इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।  गरीब परिवार जिनका मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हुआ है अब उन्हें मकान के लिए रेत भी आगे खरीदने है वे लगातार महँगी रेत ख़रीद कर मानसिक औऱ आर्थिक बोझ ढोने पर मजबूर हैं।
NGT का खुलेआम उल्लंघन ,विस्टा कंपनी की चोरी ऊपर से सीना जोरी,कंपनी खुद बनी ज़िले की माइनिंग विभाग
 आपको बता दें रिश्ता कंपनी के पास केवल 2200 घन मीटर की रेत भंडारण की रॉयल्टी के कागज हैं , लेकिन काम पूरा रेत  की चोरी का खुलेआम चल रहा है।  विस्टा कंपनी का भली-भांति साथ दे रहे कटनी जिले के माइनिंग अधिकारी और उच्च अधिकारी जो न तो उन पर कार्यवाही करते हैं और न उनको लेकर किसी भी सवाल जवाब का ठोस उत्तर दे पा रहे है।…..

कोई माई का लाल नहीं जो उन्हें रोक लगा दे
यह 2200 घन मीटर की रॉयल्टी में स्टॉक की कमी के लिए ग्रामीणों की ज़ब्त रेत भी कंपनी के लोग ही पकड़वाते हैं औऱ माइनिंग अधिकारी भी उस ज़ब्त रेत को विस्टा कंपनी के सुपर्द कर देते है।  ऐसा लगता है कटनी ज़िले की रेत का ठेका नहीं उन्होंने माइनिंग विभाग का ठेका ले लिया है मानो जैसे माइनिंग विभाग को विस्टा कंपनी चला रही है औऱ अधिकारियों को आदेश मिलता रहता है, जब आदेश मिला तब पहुँच गए साहब औऱ कंपनी का काम चलता रहेगा। कोई माई का लाल नहीं जो उन्हें रोक लगा दे।
सरकार को दोहरा रवैया : एकतरफ ग़रीब के लिए आवास मकान औऱ कलेक्टर साहब इस महँगी रेत वाली विस्टा कंपनी के हक़ीम है तो समझ जाइये खेल तो चल रहा है औऱ बहुत बड़ा लंबा खेल चल रहा है …..
यदि सही तरीक़े से इस विस्टा कंपनी की जांच हो जाये तो इन्होंने राजस्व के मामले में सैकड़ों करोड़ का चूना तो लगा ही दिया है इसमें सभी सेट है। आप…… और हम कर भी क्या सकते है …????
लगातार गरीबों को लूटना औऱ अवैध खनन माफियाओं का साथ देना हमारी सरकारों का पुराना खेल चलता रहा है……

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