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आज एक नई जमात सामने आई है,"आंदोलनजीवी" जब तक मोदी है मौक़ा लीजिए!

आज एक नई जमात सामने आई है,”आंदोलनजीवी” जब तक मोदी है मौक़ा लीजिए!

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव

आज बजट सत्र में नरेंद्र मोदी का अभिभाषण चल रहा है.इसी बीच आज एक नई जमात सामने आई है 

‘आंदोलनजीवी’- जो जीती ही आंदोलन पर हैं

देश को FDI की ज़रूरत है लेकिन
Foreign Destructive Ideology नहीं चाहिए 

जब तक मोदी है मौक़ा लीजिए.
किसान आंदोलन पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने “आंदोलनजीवी” शब्द का इस्तेमाल किया.जिसका सीधा अर्थ निकाला गया जो जीती ही आंदोलन पर है. बस क्या था पीएम मोदी के इन वाक्यों के बाद सोशल मीडिया पर यह शब्द चर्चा का विषय बन चुका है.

 किसानों को लेकर पीएम मोदी ने कही यह बात:-

पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया।  अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता। अब तक 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये किसान के खाते में भेजे गये हैं.
शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता.
 पीएम मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह ने किसान को उपज बेचने की आज़ादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाज़ार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं। आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है.जो लोग उछल-उछल कर राजनीतिक बयानबाज़ी करते हैं, उनके राज्य में जब उनको मौका उन्होंने इसमें से आधा-अधूरा कुछ न कुछ किया है.
दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। पशुपालकों जैसी आज़ादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए.भारत अस्थिर, अशांत रहे इसके लिए कुछ लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं हमें इन लोगों को जानना होगा। हम ये न भूलें कि जब बंटवारा हुआ तो सबसे ज़्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा, जब 1984 के दंगे हुए सबसे ज़्यादा आंसू पंजाब के बहे

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