रेत खदानों के नीलामी से सरकार के पास 1234 करोड़, कमाई में हुआ पाँच गुना इजाफा
सरकार ने नई रेत नीति से प्रदेश के 36 जिलों में खदानों की नीलामी कर दी गई है। इससे सरकारी खजाने में इस बार 1234 करोड़ रुपए आए हैं, जो कि बीते वर्षाें की कमाई के मुकाबले करीब पांच गुना ज्यादा हैं। अभी सात जिलों से एक भी निविदा नहीं आई है, इसलिए यहां नए सिरे से रेत नीलामी होगी। 2016 से अब तक रेत खदान नीलामी से सरकार 220 से 250 करोड़ ही कमाती रही।
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा- अब हमारा पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि रेत की कीमतें न बढ़ पाएं। होशंगाबाद, सीहोर और भिंड जिलों की सबसे महंगी खदानें तेलंगाना के पावरमैक समूह को मिलीं। पावरमैक के पास मप्र की कुल रेत सप्लाई का एक तिहाई हिस्सा आया है। होशंगाबाद जिला खनिज अधिकारी महेंद्र पटेल ने बताया कि सर्वाधिक रेत होशंगाबाद, सीहोर, भिंड से ही निकलती है।
इसके बाद छतरपुर, रायसेन, नरसिंहपुर और कटनी आदि जिले आते हैं। नई खदानें तीन साल के लिए दी जा रही हैं। हालांकि होशंगाबाद जिले से 100 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की उम्मीद थी जो कि दोगुने से ज्यादा रही।
1234 करोड़ में से 675 कराेड़ 7 जिलों से मिलेंगे : पहले चरण के आंकड़े देखें तो 36 जिलों से 7 प्रमुख जिलाें से 675 कराेड़ रुपए का सबसे ज्यादा राजस्व आएगा, अन्य 29 जिलाें से सरकार काे 559 कराेड़ रुपए मिलेंगे।
सबसे सस्ता भोपाल रहा
भाेपाल जिले का रेत का ठेका 45 लाख रुपए में गया है जो अब तक हुई नीलामी में मप्र में सबसे कम है। इसके बाद रीवा 1 कराेड़, रतलाम 1.10 कराेड़, अशाेकनगर 1.12 कराेड़ और दमाेह से 1.13 कराेड़ रुपए ही मिलेंगे।
इस बार ज्यादा कमाई इसलिए क्यूंकि देशभर से 243 निविदाएं आईं,
सरकार ने रेत उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए और ऑनलाइन निविदाएं बुलाईं।
- पूरे देश से 243 निविदाएं 36 जिलों की खदानों के लिए आईं।
- इन जिलों में ऑफसेट प्राइज 448 करोड़ रखा गया था।
- हर जिले में दो से चार गुना तक राजस्व मिला।
- अभी गौण खनिजों की नीलामी बाकी है जिससे राजस्व और बढ़ेगा |
- साथ ही सरकार ने कहा- रेत महंगी नहीं होने देंगे
शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की, पिछली सरकार में यह पैसा भाजपा नेताओं और ठेकेदारों की जेब में जाता था। अब खजाने में आया है। हम कोशिश करेंगे कि अब रेत महंगी न हो पाए। – प्रदीप जायसवाल, खनिज मंत्री