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भोपाल: सबसे बड़े अस्पताल के बुरे हालत: हमीदिया में 3 साल से कैंसर जांच और सिकाई बंद, मशीन होने के बाद भी लापरवाही

सबसे बड़े अस्पताल के बुरे हालत: हमीदिया में 3 साल से कैंसर जांच और सिकाई बंद, मशीन होने के बाद भी लापरवाही

 

 

भोपाल:- राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया में अक्सर कर लापरवाही के मामले सामने आते हैं. एक बार फिर से बड़ी लापरवाही सामने आई है.

 अस्पताल में मरीजों के कैंसर की जांच और सिकाई के लिए मशीनें 3 साल से बंद पड़ी हुई है. ऐसे में मजबूर मरीज जांच के लिए निजी अस्पतालों में करीब 2.8 करोड रुपए खर्च कर चुके हैं. पर प्रबंधन को मरीजों की कोई चिंता नहीं है. हमीदिया प्रबंधन निजी एजेंसी को भुगतान करने में जुटा हुआ है. यह हाल तब है जब अस्पताल में गामा कैमरा जैसी अत्याधुनिक जांच मशीनें मौजूद है.सिकाई के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. लेकिन प्रबंधन की लापरवाही की वजह से मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ता है.

 

 2014-15 में लगाए गए गामा कैमरे में सीटी स्कैन की सुविधा भी है लेकिन यह 3 सालों से बंद है जानकारी से यह बात सामने आई किया कैमरा 30 से 35 लाख रुपए में ठीक हो सकता है लेकिन प्रबंधन इसे ठीक नहीं कराना चाहता क्योंकि अस्पताल में पीपीपी मोड पर सीटी स्कैन मशीन चल रही है. इसके लिए कंपनी को गरीब मरीज के लिए प्रतिमाह 40 से 50 लाख रुपए दिए जा रहे हैं. वहीं सामान्य मरीजों से भी जांच के लिए 900 से ₹4000 ले रहे हैं.

 

 इस अस्पताल की रेडियोलॉजी विभाग में हर दिन 100 मरीज इलाज और जांच के लिए पहुंचते हैं इनमें से एक या दो मरीजों को सिकाई की जरूरत होती है. प्रतिमाह 40 मरीजों की औसत से बीते 3 साल में 1440 मरीजों को सिकाई के लिए बाहर भेजा गया..

 अगर इन मरीजों में से आधे मरीजों को भी आयुष्मान योजना लाभार्थी मान ले तो बचे हुए 720 मरीज 2 लाख 88 करोड़ रुपए की जांच निजी अस्पतालों में करा चुके हैं.

 

 हमीदिया अस्पताल की अक्सर कर लापरवाही सामने आती रहती है पर इसे सुधारी नहीं जाती अब एक बार फिर से यह बड़ी लापरवाही सामने आई है. आगे देखना होगा कि इस मामले पर कुछ होता भी है या नहीं.

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