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एनसीपी की नजर अब मध्यप्रदेश पर, आदिवासियों के ज़रिए शरद पवार का शक्ति प्रदर्शन

 

इंदौर: महाराष्ट्र(Maharashtra) में शिवसेना-कांग्रेस(shivsena-congress) के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद NCP मध्यप्रदेश में पैर पसारने की तयारी में है। टंटया भील की जयंती के दिन नागपुर के आदिवासी नेता और बिरसा मुंडा ब्रिगेड के संयोजक सतीश पेंदाम के जरिए NCP सुप्रीमो शरद पवार (sharad pawar) ने इंदौर में एक बड़ी सभा की। इसमें सीएम कमलनाथ राज्य के वन मंत्री उमंग सिंगार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और झाबुआ से विधायक कांतिलाल भूरिया भी मौजूद थे। कार्यक्रम में आदिवासी अपनी पारम्परिक वेशभूषा में तीर कमान और ढोल मांदल लेकर पहुंचे।

आदिवासियों के रॉबिनहुड माने जाने वाले अमर शहीद टंट्या भील की 178वीं जयंती के मौके पर इंदौर में बिरसा मुंडा ब्रिगेड ने एक बड़ा जनजातीय सम्मेलन का किया। इसमें शामिल होने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार खुद के चार्टर प्लेन से इंदौर आए थे। इस जनजातीय सम्मेलन के ज़रिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश में दस्तक देने की तैयारी कर ली है, शरद पवार की मध्यप्रदेश के आदिवासी नेताओं से नजदीकी इस बात का साफ संकेत दे रही है।

आदिवासी संस्कृत बचाये रखने की अपील
इस सम्मेलन में मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की पहचान देश-दुनिया में आदिवासियों से थी और बिना आदिवासी के विकास के, प्रदेश का विकास नहीं हो सकता। आदिवासियों के बल पर ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। सरकार सबसे ज्यादा प्राथमिकता आदिवासी नौजवानों को देगी उन्होंने सरकार को आदिवासियों का रक्षक करार करते हुए कहा था कि प्रदेश में कांग्रेस ने चार मंत्री दिए हैं। जिससे आदिवासियों की उन्नति हो सके। मुख्यमंत्री ने आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार देने पर ज़ोर दिया और कहा था कि इस प्रदेश में कोई भी आदिवासी बेरोजगार नहीं रहेगा।

टंटया भील की प्रतिमा संसद भवन में लगाने की मांग की
जनजातीय सम्मेलन में शामिल होने महाराष्ट्र से आये एनसीपी नेता शरद पंवार ने कहा महानायक टंट्या भील ने समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए अपना जीवन दिया। इस देश के विकास में आदिवासियों का भी बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी की समस्या एक-सी है। मैं चाहूंगा देश के पूरे आदिवासी एक सूत्र में बंधे रहें। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों के लिए एक संयुक्त रुप से शिक्षा,रोजगार और कृषि पर एक योजनाबद्ध कार्यक्रम बनना चाहिए। उन्होंने कहा मेरी कोशिश ये रहेगी संसद भवन में देश के लिए योगदान देने वाले टंट्या भील की प्रतिमा लगायी जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ में आदिवासियों को मान्यता देने की आवश्यक्ता है।

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