अजब गज़ब है मप्र की राजनीति, यहां इस्तीफ़े के बाद भी नेता रहते है मंत्री! और प्रस्तावों को देते है मंज़ूरी
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में सिंधिया समर्थक तीन मंत्री चुनाव हार गए थे। जिसमें इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना के नाम शामिल थे। चुनाव हारने के तुरंत बाद ही एंदल सिंह कंसाना ने मंत्री पद से इस्तीफा तो दे दिया था। जबकि मंत्री इमरती देवी, और मंत्री गिर्राज दंडोतिया ने कुछ पहले अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज को सौंपा हैं।
लेकिन खास बात ये है की इन तीनो के इस्तीफों को अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंज़ूर नहीं किया हैं। यहीं कारण है कि इमरती देवी अभी भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा निभा रही हैं। उन्होंने हालही में हुई एक कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लिया, साथ ही उन्होंने प्रस्तवों को मंज़ूरी भी दी।
दरअसल, 26 नवंबर को सीएम की वर्चुअल बैठक में इमरती देवी ने हिस्सा लिया। इसमें बाकी मंत्रियों के साथ इमरती देवी भी शामिल हुई। महिला एवं बाल विकास विभाग ने लैपटॉप खरीदी की मंसूरी का प्रस्ताव दिया, इसे इमरती देवी ने रखा और उसे कैबिनेट सदस्य के तौर पर मंजूरी दी। वे मंत्री के रूप में विभागीय कामकाज कर रही हैं। मंत्री स्तर की सभी फाइलें इमरती देवी तक जाती है वही प्रस्ताव को मंजूर या नामंजूर कर रही हैं।
इमरती देवी का कहना है कि हम सीएम को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। वे जब चाहेंगे उसे मंजूर कर देंगे। अभी हमने कैबिनेट में मंत्री के रूप में भाग लिया बाकी काम भी कर रहे हैं हम पार्टी लाइन पर काम करते हैं और सीएम कहेंगे वही काम हम करेंग।
2 जनवरी तक रह सकते हैं मंत्री पद पर
गौरतलब है कि संविधानिक रूप से उप चुनाव हारे तीनों मंत्री 2 जनवरी तक मंत्री पद पर रह सकते हैं। शपथ के 6 महीने तक बिना चुनाव लड़े या जीते मंत्री राह जा सकता है इसी आधार पर तीनों मंत्री की पद की अवधि 2 जनवरी तक हैं।
इधर, सूत्रों का कहना है कि तीनों के पुनर्वास का मामला तय होने के बाद ही इस्तीफों को स्वीकार किया जाएगा। वहीं, ख़बरों की मानें तो शिवराज सरकार हारे मंत्रियों को निगम-मंडलों में जगह देने के साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे सकती हैं।
मिली जानकारी के अनुसार गिर्राज दंडोतिया को हाउसिंग बोर्ड और इमरती देवी को महिला वित्त एवं विकास निगम में जगह मिल सकती हैं।