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भोपाल/ एमपीपीएससी में चौंकानें वाली विसंगतियां- प्रदेश स्तर की सबसे बड़ी प्रशासनिक परीक्षा में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका

मध्यप्रदेश में 27 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आई पीएससी के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा अब प्रदेश सरकार के लिए गले की वह हड्डी साबित हो रही है जिसे ना तो वह निगल पा रहे हैं और न उगल पा रहे हैं, क्योंकि पूर्व में विपक्ष रही कांग्रेस पार्टी के कुनबे में ऐसे-ऐसे नेता शामिल हैं, जिन्होंने उक्त मामलों के उजागर होने का हवाला भविष्य में किया था। ज्यादा कलेवर न  बांधते  हुए आपको वर्तमान और हालिया घटना से रूबरू कराना चाह रहे हैं, जिसमें इतना फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें यह बताया जा रहा है कि एक प्रोफेसर जिसने भूगोल से नेट पीएचडी की परीक्षा पास की और वह गणित का असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया।पहली बार खबर पढ़ते ही आपको विश्वास नहीं हो रहा होगा, किंतु यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने उसका सिलेक्शन गणित में किया है जबकि यह पता चल रहा है कि उम्मीदवार ने भूगोल में एग्जाम दिया था इसी तरह के और भी मामले सामने आ रहे हैं जिसमें बताया जा रहा है कि यह उम्मीदवारों की सूची तकरीबन 225 हो सकती है।

जिनकी वर्तमान नियुक्तियों को लेकर संदेह बनना लाजमी भी है। आपको बता दें कि लोक सेवा आयोग ने तकरीबन 19 उम्मीदवारों को अपने तमाम दस्तावेजों के साथ 12 दिसंबर को उपलब्ध होने हेतु कहा है, यदि वह अपने दस्तावेज उक्त दिनांक तक प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं तो उनको उनकी नियुक्ति के आदेश कदापि जारी नहीं होंगे। इसी क्रम में दूसरा फर्जीवाड़ा सामने आया आया है जिसमें कि भौतिकी से चयनित हुई रेशमा मेहरा जिनके रिकॉर्ड में नेट और पीएचडी की डिग्री नहीं है। तीसरा मामला सामने आया है जिसमें की इकोनॉमिक्स के चयनित होने वाले राजेश कुमार गौतम जिन्होंने एमबीए की परीक्षा बिजनेस इकोनॉमिक्स की है जो अर्थशास्त्र का विषय ही नहीं होता है, अब इसी तरह के अन्य मामले सामने आ रहे हैं एक अन्य मामला जिसमें की बायोलॉजी में श्रीकांत कॉल और केमिस्ट्री में पायल जैन का चयन बिना पीएचडी की परीक्षा के ही कर लिया गया। अब इस बारे में जब बड़े अधिकारियों से सवाल जवाब तलब किए जा रहे हैं तो जानकारी मिल रही है कि हाई लेवल की कमेटी निर्णय करेगी। वहीं हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के अफसरों की मानें तो उन्होंने तकरीबन 860 उम्मीदवारों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए, जिसके अंतर्गत 19 प्रतिभागियों की नियुक्ति के आदेश निकलना शेष है और इसमें अभी से  ही 225 उम्मीदवारों के दस्तावेजों की गड़बड़ियां खुलकर सामने आई हैं अगर इनमें से 91 कैंडिडेट अपने डाक्यूमेंट्स को पेश कर देते हैं तो यह सभी विषय उच्च कमेटी के अंतर्गत जाएंगे। जहां से इन सभी प्रकरणों को चेक किया जाएगा एवं चेक करने उपरांत इसका आदेश जारी करने का कार्य उच्च शिक्षा विभाग ही करेगा तो यह शिक्षा जगत में मध्य प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा फर्जी फाड़ा साबित हो सकता है ।

वर्तमान सरकार कांग्रेस पार्टी, जो स्वयं व्यापम और व्यापम टू के नाम से इस पीएससी असिस्टेंट प्रोफेसर घोटाले को कहती थी अब वह भी लगता है उतनी अशांत नजर नहीं आ रही है जितना कि वह विपक्ष में खुद को समझती थी।

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