इंदौर : मेयर पद पर खींचतान, ताई-भाई और सांई में फंस गया पेंच, सिंधिया समर्थक भी नहीं पीछे

मध्यप्रदेश/इंदौर – मध्यप्रदेश में भले ही अभी नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान न हुआ हो, लेकिन उस से पहले प्रदेश की सियासत गरमाई हुई हैं। मेयर और अध्यक्ष के पद आरक्षित हो गए। उपचुनाव की जंग फतह करने के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं। लेकिन इसके साथ ही भाजपा में टिकट की दावेदारी और मारामारी चरम पर हैं। मामला मध्यप्रदेश के इंदौर से सामने आया हैं। जहां, महापौर की सीट अनारक्षित होने से कई दावेदार सामने आ गए हैं। भाजपा के पूर्व विधायक जीतू जिराती, सुदर्शन गुप्ता और गोपीकृष्ण नेमा टिकट की दावेदारी पेश कर चुके हैं।
इसी बीच अब खबर है कि तीनों वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन और शंकर लालवानी टिकट बटवारें को लेकर अपनी-अपनी बात पार्टी के सामने रख रहे हैं। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन जहां पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा, सुदर्शन गुप्ता और मधु वर्मा की पैरवी कर रही हैं, तो वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रमेश मेंदोला और जीतू जिराती के लिए मेयर का टिकट चाहते हैं। जानकारी के मुताबिक, इस बीच शंकर लालवानी ने किसी नए चेहरे को टिकट देने की वकालत कर दी हैं। इन तीनों नेताओं के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं। शहर में सिंधिया समर्थक मोहन सेंगर भी मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। बता दें, वे विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।
इस से पहले पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने तो खुलेआम अपनी दावेदारी ठोक दी हैं। दरअसल, इंदौर नगर अध्यक्ष और दो बार विधायक रहे गोपीकृष्ण नेमा को नेपानगर उपचुनाव का सह प्रभारी बनाया गया था। वहां पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज कर कांग्रेस से सीट छीन ली। इसलिए वे चाहते हैं कि उनकी मेहनत का फल इंदौर मेयर के टिकट के रूप में मिले। वो कहते हैं कि टिकट मांगना उनका अधिकार हैं। पार्टी को इस पर जरूर विचार करना चाहिए।
इधर, इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है कि शहर की बीजेपी त्रिशंकु स्थिति में पहुंच गई हैं। ताई-भाई और सांई, तीनों गुट शहर पर अपना कब्जा करना चाहते हैं, जिससे नगर सरकार उनके हिसाब से चल सके।
मालूम हो कि भाजपा ने इस बार वर्तमान विधायकों को टिकट न देने का फॉर्मूला तैयार किया हैं। इस फॉर्मूले ने पूर्व विधायकों की उम्मीद जगा दी हैं।