CM कमलनाथ ने "अटल जी" की कविताओं के जरिये किया उन्हें याद, "कहीं आजादी फिर से न खोएं", "मासूम बच्चों"
भोपाल – देश के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न, स्व.अटलबिहारी वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए आदरांजलि अर्पित करता हूँ। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी की सादगी, सरलता, सहजता, उनके सिद्धांत, प्रतिस्पर्धी व विरोधी को भी सम्मान देने का उनका व्यक्तित्व,आज भी जेहन में है।
राजनीति क्षेत्र में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाती रहेगी।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री,भारत रत्न,स्व.अटलबिहारी वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए आदरांजलि अर्पित करता हूँ
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी की सादगी,सरलता,सहजता,उनके सिद्धांत,प्रतिस्पर्धी व विरोधी को भी सम्मान देने का उनका व्यक्तित्व,आज भी जेहन में है
1/5 pic.twitter.com/NDnn7iH1xy— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 25, 2019
कविवर अटलजी की यूँ तो सारी कविताएँ श्रेष्ठ है लेकिन आज के दिन उनकी एक कविता बहुत याद आ रही है।
“ कहीं आजादी फिर से न खोएं…” मासूम बच्चों,
बूढ़ी औरतों, जवान मर्दों की लाशों के ढेर पर चढ़कर
जो सत्ता के सिंहासन तक पहुंचना चाहते हैं
उनसे मेरा एक सवाल है, क्या मरने वालों के साथ
उनका कोई रिश्ता न था?
न सही धर्म का नाता, वे यदि घोषणा पत्र हैं तो पशुता का,
प्रमाश हैं तो पतितावस्था का, ऐसे कपूतों से
मां का निपूती रहना ही अच्छा था,
निर्दोष रक्त से सनी राजगद्दी,
श्मशान की धूल से गिरी है,
सत्ता की अनियंत्रित भूख
रक्त-पिपासा से भी बुरी है।
पांच हजार साल की संस्कृति :
गर्व करें या रोएं?
स्वार्थ की दौड़ में
कहीं आजादी फिर से न खोएं।