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मध्यप्रदेश रैगिंग के मामले में देश में दूसरे पायदान पर, नए साल में 10 केस दर्ज हो चुके हैं

 

रैगिंग (Ragging) की शिकायतों के मामले में मध्यप्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है। पिछले साल प्रदेश में रैगिंग की 132 शिकायतें दर्ज की गईं। परन्तु नए साल के डेढ़ महीनों में ही 10 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं।  

भोपाल: कहा जाता है रैगिंग को रोकने के लिए सरकार नए-नए नियम निकालती रहती है। मध्यप्रदेश के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में रैगिंग को रोकने के लिए भले ही सख्ती की गई है लेकिन साल दर साल रैगिंग के मामलों में इजाफा हो रहा है। रैगिंग के बढ़ते मामलों में, मध्य प्रदेश देश भर में दूसरे नंबर पर आ गया है। यूजीसी की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन (Anti ragging) ने आंकड़े जारी किये हैं जिसमे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) को दूसरे स्थान दिया गया है। साल 2019 में मध्य प्रदेश में रैगिंग की 132 शिकायतें दर्ज की गईं थी। तो वहीं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 2019 में रैगिंग के 152 मामले दर्ज हुए थे रैगिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं उसी क्रम में उत्तरप्रदेश को पहला स्थान मिला है और मध्यप्रदेश को दूसरा। ये चिंता का विषय है।

भोपाल में बढ़ रहे हैं रैगिंग के मामले

आपको बता दें कि भोपाल में स्थित एमसीयू से रैगिंग की शिकायतें 2020 में जनवरी के महीने एंटी रैगिंग हेल्पलाइन तक पहुंची थी। बैचलर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेशन के स्टूडेंट ने पीजी की छात्रा पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इसी क्रम में नवंबर 2019 में मैनिट के छात्र ने सीनियर पर प्रताड़ित करने की शिकायत की थी तो वहीं बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 2019 में बीई फर्स्ट ईयर सीएस ब्रांच के छात्र ने सीनियर पर हॉस्टल में बुलाकर रात भर खड़ा रखने और पिटाई करने का मामला दर्ज करवाया था।

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