मध्यप्रेदश पीएससी Public Service Commission को झटका, असिस्टेंट प्रोफेसर की चयन सूची रद्द
मध्यप्रदेश Madhya Pradesh /जबलपुर Jabalpur :मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में एमपी (MP ) पीएससी(PSC ) मप्र लोक सेवा आयोग की सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2017 की चयन सूची को निरस्त कर दिया । चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि मप्र सिविल सेवा (महिलाओं के लिए नियुक्ति में विशेष प्रावधान) नियम, 1997 के नियम 3 के तहत महिलाओं को 33% हॉरिजांटल व वर्गवार आरक्षण देते हुए 2 माह में नई सूची बनाई जाए।
याचिका में वकील ब्रह्मानंद पांडे ने कहा है कि इस आदेश से सभी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियां स्वतः समाप्त हो जाएंगी एवं पीएससी( PSC) पुनः चयन सूची बनाने के लिए फिर से नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ करेगी।आप को बता दे कि ये था मामला एमपी पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के चयन के लिए वर्ष 2017 में परीक्षा आयोजित की थी।
इसमें मध्य प्रदेश की मूल निवासी महिलाओं को मप्र सिविल सेवा (महिलाओं के लिए नियुक्ति में विशेष प्रावधान) नियम, 1997 के तहत 33% हॉरिजांटल एवं कंपार्टमेंट वाइज वर्गवार आरक्षण दिया गया है। पर पीएससी (PSC) ने परीक्षा के परिणाम आने के बाद बनाई चयन सूची में सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को चयनित कर लिया था।
सामान्य वर्ग की महिला दीप्ति गुप्ता, लक्ष्मी तिवारी और भी अन्य ने इसे याचिका के जरिए चुनौती दी । सामान्य वर्ग की महिलाओं की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु, ब्रह्मानंद पांडेय व मानसमणि वर्मा ने तर्क दिया कि सामान्य महिला के लिए आरक्षित कोटे में एससी, एसटी या ओबीसी महिला को समायोजित नहीं किया जा सकता है। भले ही उन के प्राप्तांक सामान्य वर्ग की महिला से ज्यादा हों।
आदेश के मुख्य बिंदु – प्रदेश में महिलाओं के लिए आरक्षित मप्र सिविल सेवा नियम के तहत 33 फीसद आरक्षण हॉरिजांटल एवं वर्गवार है। – सामान्य महिला की सीट केवल सामान्य महिला से भरी जा सकती है। भले ही अन्य वर्ग की महिलाओं (एससी, एसटी, ओबीसी) के प्राप्तांक उन से ज्यादा हों। – महिलाओं के लिए आरक्षण एक वर्ग से दूसरे वर्ग में समायोजन नहीं हो सकता।