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मध्यप्रदेश: गाय पर सियासत 2014 से मप्र की राजनीति में आई थी गाय

मध्यप्रदेश: गाय पर सियासत 2014 से मप्र की राजनीति में आई थी गाय
कमलनाथ ने षिवराज को गौषाला से गौ-कैबिनेट में उलझाया
एक गाय के लिए 1 रूपए 60 पैसे हुए मंजूर 
1 लाख अस्सी हजार गाए पर सिर्फ 11 करोड का बजट
तेरह सौ गौषालाओं के लिए मध्यप्रदेष सरकार देगी राषि
पषुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल गौ-कैबिनेट की बैठक से रहे अन्यभिज्ञ, षिवराज ने स्वयं लिए हैं निर्णय।

भोपाल/गाय पर जिस कदर प्रदेष की राजनीति सडकों से विधानसभा तक दौड चकी है, उसमें कोई दो राय की बात नहीं है कि सत्ता पक्ष के नेता जनता को लुभाने बजट पेष करने से पीछे रहेगी। मध्यप्रदेश में गाय पर फिर सियासत शुरू हो गई है। यहां करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर अब सियासी उटा-पटक मची हुई है। बुधवार की सुबह सीएम शिवराज ने अचानक ट्विटर पर सूचना दी कि गौ-कैबिनेट बनेगी, जिससे सभी चैंक गए। पर वहीं पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल कहना है कि मुझे गौ-कैबिनेट कोई जानकारी नहीं लगी है, जबकि वे कैबिनेट के सदस्य भी हैं। 
गौशाला कांग्रेस का है पुराना फॉर्मूला 
पिछले छः साल से गाय को लेकर जिस तरह मध्यप्रदेश की सियासत में लगातार नए दावे किए जा रहे हैं, उसमें अब तक के शिवराज सरकार का लगभग ठोस कदम ही माना जा सकता है। 15 महीने प्रदेष में कांग्रेस की सरकार ने एक हजार गौशाला का फॉर्मूला लेकर आई थी, जिसे मुद्दा बनाकर उपचुनाव में भी जमकर उछाला गया था। सत्ता में फिर मजबूत होते ही शिवराज ने गौ-कैबिनेट बनाकर कमलनाथ के ‘गौशाला मिशन’ की पुरानी सुर्खियों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। शिवराज ने 2018 में खजुराहो में जैन मुनि विद्यासागर महाराज के चातुर्मास के दौरान घोषणा कर दी थी कि फिर से सरकार में आने पर गौ-मंत्रालय बनाएंगे।
चुनाव जीतते ही गौधन न्याय योजना पर षिवराज का फोकस
उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में गौधन न्याय योजना लागू करने की घोषणा की तो थी। इसके तहत पशुपालकों से गोबर खरीद कर खाद बनाने की बात कही गई थी, अपितु उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आ जाने से गायों के मुद्दे को कहीं कांग्रेस स्थायी तौर पर हासिल नहीं कर ले, यही सोचकर शिवराज ने गौ-कैबिनेट का ऐलान कर दिया। कैबिनेट की पहली बैठक 22 नवंबर को आगर मालवा में करने का फैसला भी लिया।
गाय की खुराक का बजट 20 से घटाकर 1.60 रुपए कर दिया
मध्यप्रदेश की सियासत में हर बार गाय को मुद्दा बनाया जाता है। गाय और गौशाला को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। इस समय राज्य में तकरीबन 1300 गौशालाएं हैं, जिनमें 1.80 लाख गायों को रखा गया है। बताया जाता है कि पिछली कमलनाथ सरकार ने बजट में प्रति गाय 20 रुपए दिए थे।

पिछले वित्तीय वर्ष में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रुपए था, जबकि 2020-21 में यह सिर्फ 11 करोड़ रुपए हो गया। यानी लगभग 90 फीसदी की कटौती कर दी गई। प्रति गाय सरकारी खुराक 20 रुपए से घटकर 1 रुपए 60 पैसे हो गई।

भाजपा ने 2014 में अपने घोषणा पत्र में गौरक्षा का मुद्दा उठाया।
एमपी में गायों के आधार कार्ड बनवाए गए।
2017 में बीजेपी के ऐलान के बाद देश का पहला गौ-अभ्यारण्य बना।
विधानसभा 2018 के पहले भाजपा ने गाय का मुद्दा जमकर उठाया।
1962 पशुधन संजीवनी योजना के नाम से भाजपा ने मोबाइल वैन शुरू की।
भाजपा के बाद कांग्रेस ने 2018 के घोषणा पत्र में हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का ऐलान किया।
प्रदेश में एक हजार गौशाला खोलने के आदेश के बाद कांग्रेस श्कैटल रेस्क्यू अभियान लाई।
इसके बाद कमलनाथ सरकार गाय का ध्यान रखने के लिए मोबाइल एप योजना लाई।
अब शिवराज सरकार ने गो-कैबिनेट का गठन किया।
 

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