MP : किसानो का बिजली बिल हाफ और बिजली कंपनियों का घाटा डबल लो हो गया न्याय !
स्पेशल रिपोर्ट, गौतम कुमार
कमलनाथ सरकार ने जल्दबाजी में किसानो के लिए बिजली बिल की राशि आधी तो कर दी लेकिन शायद यह याद नहीं रख पाए की उनके पास राजस्व की भी कमी है। कमलनाथ सरकार ने अभी कुछ दिनों पहले ही इंदिरा किसान ज्योति योजना शुरू करने की बात कही थी। इंदिरा किसान ज्योति योजना के तहत 10 हार्स पावर तक के कृषि उपभोक्ताओं को आधी दर पर बिजली देने जा रही है। इस योजना के जरिये अब किसानो को 44 पैसे प्रति यूनिट की दर पर सिंचाई के लिए बिजली मिलेगी। जबकि वर्तमान में अभी 88 पैसे प्रति यूनिट की दर से किसानो को सिंचाई के लिए बिजली मिलती है। आगामी अप्रैल महीने से इस योजना की शुरुआत भी होने वाली थी लेकिन लगता है बिजली कंपनियों को कमलनाथ सरकार का यह वचन नहीं भा रहा है।
घरेलु बिजली की दरों में बढ़ोतरी
राज्य की मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए घरेलू बिजली की दरें 5.28 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज दिया है। नियामक आयाेग ने बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव काे अपनी अधिकृत वेबसाइट पर रिलीज कर दिया है।
बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग को तर्क दिया है कि वर्तमान दर से उन्हें सालाना दो हजार करोड़ रुयये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बिजली के दाम बढ़ने से 150 यूनिट या उससे कब बिजली इस्तेमाल करने वालों पर बोझ बढ़ सकता है। अगर बिजली कंपनियां अपनी दरें बढ़ाती हैं तो उनके राजस्व में 41332 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी।
वर्तमान दर से बिजली कंपनियों को 39332 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति होती है। राज्य सरकार चाहे तो बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर दरों को बढ़ने से रोक सकती है। नियामक आयोग बिजली कंपनियों का प्रस्ताव स्वीकार करता है तो बढ़ी दरों का सबसे ज्यादा बोझ घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ेगा। ऐसे में सरकार अपने बिजली बिल हाफ करने के वादे को कैसे निभा पाएगी। क्यूंकि राजस्व न होने की बात मध्यप्रदेश सरकार कई बार कह चुकी है।
बिजली कंपनियों के घाटे को ऐसे समझें
बिजली कंपनियों को नए टैरिफ डाटा के तहत 2017-18 के नुकसान में तय मानक से 10 फीसदी घाटा अधिक हुआ है।
जबलपुर स्थित पूर्व क्षेत्र कंपनी का अधिकतम घाटा 17 और भोपाल स्थित मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का अधिकतम घाटा 18 फीसदी तय किया गया था, लेकिन पूर्व क्षेत्र में 27.05 फीसदी और मध्य क्षेत्र में 37.51 प्रतिशत घाटा दर्ज किया गया है। महज इंदौर स्थित पश्चिम क्षेत्र कंपनी की स्थिति ठीक है। पश्चिम क्षेत्र में तय मानक 15.50 फीसदी के थे, जबकि घाटा 16.63 फीसदी दर्ज किया गया है।
कितना बढ़ेगा बोझ
वर्तमान में इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत 100 यूनिट बिजली खपत करने वालों का बिल 100 रुपए आता है। वहीं 150 यूनिट बिजली खपत करने वालों का शेष 50 यूनिट पर सामान्य दर से करीब 350 रुपये का बिल आता है। दरें बढ़ीं तो यह राशि बढ़कर 600 रुपये से अधिक हो जाएगी और 300 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वालों का बिल करीब 2000 रुपए आएगा। इसमें फिक्स चार्ज भी शामिल रहेगा।
फिलहाल तो ऐसा दिख रहा है कि उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह और कांग्रेस सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है जिससे वे बुजली कंपनियों को घाटे से उभार सके। क्यूंकि एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक सारे घपले-घोटालों का ठीकरा भाजपा पर ही फोड़ रही है। इस मुद्दे पर भी उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने उम्मीद के अनुसार यही कहा कि “पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार के समय बिजली सेक्टर में बहुत गड़बडिय़ां हुई हैं, जिसके कारण नुकसान बढ़ता गया। अब बिजली के घाटे को काबू में करने के प्रयास हो रहे हैं।” साहब आपने भाजपा पर आरोप लगाने के जगह अगर बिजली कंपनियों के ऊपर ध्यान दिया होता तो शायद इंदिरा किसान ज्योति योजना का फायदा किसानो को सही तरीके से मिल पाता। बहरहाल देखना यह है कि बिजली कंपनियों के इस घाटे की भरपाई कौन करेगा सरकार या आम आदमी।