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शर्म करो अमीरों : मजदूरों को डिंडोरी में जानवरों के तरह बसों में भरा गया, महाराष्ट्र से हबीबगंज आए भूंखे-प्यासे

भोपाल डेस्क, गौतम कुमार 

देश के कई राज्यों से मजदूर लौट कर अपने गृह राज्यों को जा रहे हैं। सरकारें बोल रही हैं हम यह दे रहे हैं हम वः दे रहे हैं। मुफ्त भोजन, मुफ्त ये , मुफ्त वो लेकिन जब आप ज़मीन पर उतर कर देखते हैं तो हकीकत सामने खुद-ब-खुद आ जाती है। कहीं मजदूरों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है कहीं उन्हें भूखा-प्यासा बिलखता छोड़ दिया जा रहा है तो कहीं उन्हें दाने-दाने के लिए आपस में लड़वाया जा रहा है। ताज़ा मामला प्रदेश के डिंडोरी जिले का है जहां मजदूरों को एक ही बस में भेड़-बकरियों के तरह लाद कर भेजा जा रहा है। 

काहेका सोशल डिस्टेंस साहब 

तस्वीर और विडियो दोनों देखिए और सच से वाकिफ आप खुद हो जाएंगे। इससे अच तो होता कि इन मजदूरों को पैदल ही आने दिया जाता। कम से कम कोरोना तो नहीं फैलाते और देर सबेर अपने घरों को पहुंच ही जाते। शर्म करो अमीरों जिनके दम पर तुम्हारी फक्टारियाँ चलती हैं, जिनके काम का तुम खाते हो, जिनके एहसानों तले तुम दबे हो उनकी आज यह हालत है। ऐसी हालत है कि कोई भूख से मर रहा है तो कोई प्यास से लेकिन कोरोना से नहीं। 

"देखो इंडिया देखो" बस के पीछे लिखा है जिसमें प्रवासी मजदूरों को भेड़ बकरियों की तरह भरकर प्रशासन के द्वारा क्वारंटीन सेंटर ले जाया जा रहा है।#डिंडौरी में #SocialDistancing का ऐसे पालन करा रहा है प्रशासन @ChouhanShivraj @FSKulasteOffice @IncOmkarSingh @dindoridm pic.twitter.com/faL3l7p0QV

— Vijay Tiwari (@vk953) May 7, 2020

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15 घंटे भूंखे प्यासे रहे तब पहुंचे गृह राज्य 

महाराष्ट्र से एक ट्रेन चलकर हबीबगंज स्टेशन पहुंची थी यहाँ  मजदूरों से बातचीत की तो प्रशासन के दावों की पोल खुल गई। मजदूरों ने बताया कि वे पिछले 15 घंटे से सफर कर रहे थे, लेकिन उन्हें खाना नहीं दिया गया। पीने के लिए सिर्फ दो छोटी-छोटी बोतल दी गई थी। इसके अलावा रास्ते में कहीं भी खाने का इंतजाम नहीं किया गया। भूख की वजह से बच्चे बिलखते रहे। उन्होंने बताया कि जो सूखी रोटी उनके पास थी उन्हें वही खाना पड़ा लेकिन अधिकांश मजदूरों के पास ना पीने का पानी था और ना खाने की कोई व्यवस्था थी ऐसे में ट्रेन में मजदूरों के बच्चे भी भूख की वजह से बिलखते रहे। जब ट्रेन यहाँ पहुंची तब जाकर मजदूरों को खाना-पानी नसीब हुआ।  यहाँ प्रशासन ने उनके खाने और जाने दोनों कि समुचित व्यवस्था कर रखी थी। 

आज जब इंडस्ट्री खुलने लगी है तब जाकर मालकों को समझ में आ रहा है कि मजदूर क्या हैं। भला हो इस कोरोना वायरस का जिसने कई लोगों के छिपे चेहरे को दिखाया है। इन गरीब-बेचारों को बताया है कि बस तुम्हारी मेहनत और तुम्हारा गाँव ही तुम्हारा है बाकी सब धोखेबाजी है। 

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