सरकार के शिकंजे में फसते नज़र आ रहे है कटनी के महापौर! जानिए क्या है मामला
सैफी खान की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश के कटनी से एक बड़ी खबर सामने आ रहीं है, जहां नगर निगम में महापौर शशांक श्रीवास्तव के कार्यकाल में हुए कार्यों में भ्रष्टाचार और मनमानी की शिकायत पर राज्य शासन ने बड़ा कदम उठाते हुए जांच शुरू कर दी हैं। बता दें कि कांग्रेस पार्षद मिथिलेश जैन ने 18 बिदुओं की शिकायत दो साल पहले नगरीय प्रशासन विभाग में की थी। जब प्रदेश मेंं भाजपा सरकार थी। भाजपा सरकार होने के कारण यह जांच शुरू नहीं हो पाई। लेकिन जब सरकार बदली तो कांग्रेस पार्षद मिथिलेश जैन ने एक बार फिर शिकायत दर्ज की। जिसके बाद यह जांच तेज़ हो गई।
अब नगरीय प्रशासन विभाग के आदेश पर चार सदस्यीय टीम ने जांच शुरू कर दी हैं। जांच टीम में एसडीएम बलवीर रमण, तहसीलदार मुन्नौवर खान, जिला शहरी अभिकरण अधिकारी अभय मिश्रा, नजूल तहसीलदार व जिला आबकारी अधिकारी शामिल हैं। नगर निगम में हुई गड़बडिय़ों की शिकायत लोकायुक्त में भी हुई हैं।
वहीं, जांच टीम द्वारा जांच शुरू करते ही नगर निगम के अधिकारियों की बोलती बंद हो गई हैं। जांच टीम द्वारा मांगी जा रही फाइलों को नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा भेजी जा रही हैं।
चार सदस्यीय टीम इन बिदुओं पर करेगी जांच
- महापौर की अध्यक्षता वाली अपील समिति द्वारा क्षेत्राधिकार के परे नगर निगम को हानि पहुंचाने एवं भ्रष्टाचार करते हुए अनेकों लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कई लिए अवैध निर्णय।
- नगर विकास प्रकोष्ठ की भूमि में योजनाओं की करोड़ों रुपये की संपत्ति अतिक्रमण, एमएसडब्ल्यू कंपनी को करोड़ों रुपये का अवैधानिक भुगतान हो रहा है, लेकिन शहरवासियों को नहीं मिल रहा लाभ।
- शहर में बड़े अतिक्रमण हटाने पर अवरोध पैदा किया जाता है, पार्षदों के साथ प्लेन से यात्रा की गई इसके लिए एमएसडब्ल्यू पर दबाव बनाया गया, लॉग बुक भी महापौर खुद रखे हुए हैं।
- स्वच्छ भारत मिशन में लाखों रुपये का किया गया दुरुपयोग।
- आइएचएसडीपी अमृत योजना अंतर्गन पाइन लाइन व सीवर लाइन बिछाने ठेकेदार ने समय पर काम नहीं किया, 100 प्रतिशत की बजाय मात्र 25 फीसदी काम किया, उसके विरुद्ध कोई कारवाई नहीं की।
- भारीभरकम दर पर किराये के वाहन लेकर उसे अपने नाम में आवंटित कराना और वाहन का उपयोग भाजपा की मीटिंगों व अन्य बैठकों सहित निगम सीमा के बाहर भी उपयोग में लाना।
- एमआइसी ने पैनाल्टी नहीं लगाई, जिसमें लाखों का भ्रष्टाचार हुआ।
- पीएम आवास, अमृत योजना के वित्तीय मामलों में ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने एमआइसी ने ही निर्णय ले लिया।
- दो वर्ष पूर्व कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में कार्यों के लिए बजट लिख जाने के बावजूद महापौर द्वारा एमआइसी में विधि विरुद्ध बजट आवंटन किया गया रद्द, जिससे निर्माण कार्य हुए प्रभावित।