करवाचौथ यानि सुहागनों का महत्वपूर्ण त्यौहार, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानिए पूजाविधि और पूजन सामग्री….
- चांद के दीदार के बाद निर्जला व्रत तोड़ेंगी सुहागनें
भोपाल/निशा चौकसे:- करवाचौथ का त्यौहार रविवार यानि आज मनाया जाएगा. यह त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इसका महत्व सभी त्योहारों से अलग है. महिलाएं अखंड सुहाग के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं फिर रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजन के साथ कथा सुनेगी और पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत खोलेंगी. आज करवा चौथ पर्व के चलते बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ रही है, पूजन सामग्री खरीदने महिलाएं पहुंच रही हैं. करवा चौथ का व्रत वैसे तो मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा रखे जाने की परंपरा है. करवा चौथ के पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह नजर आ रहा है। कोई पहली बार व्रत रखेगा तो कोई पहले की अपेक्षा और बेहतर तरीके से पर्व मनाने की तैयारियां कर रही हैं. इस साल बाजार में करवा चौथ पूजन के लिए सभी पूजन सामग्री का सेट 50 से 80 रुपये तक में उपलब्ध है. पूजन की थाली को भी सजावट कर के बेचा जा रहा है. वहीं त्यौहार को लेकर ब्यूटीपार्लर में भी बुकिंग चल रही है
इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
इस बार करवाचौथ का पर्व रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य की माने तो चंद्रमा को अघ्र्य देने से पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता बढ़ती है. ऐसे में वे महिलाएं जिनके पारिवारिक जीवन में सामंजस्य का अभाव हो वे चंद्र को अघ्र्य देने के बाद चावल का दान करें. चतुर्थी तिथि इस साल रविवार सुबह तीन बजकर एक मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह पांच बजकर 43 मिनट तक रहेगी. इस दिन चांद निकलने का समय आठ बजकर 11 मिनट पर है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6.55 से लेकर 8.51 तक रहेगा.
करवा चौथ व्रत में कुंवारी कन्याएं इन नियमों का करें पालन
अक्सर यह कहते सुना गया है कि करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिन महिलाओं को रखना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है. करवा चौथ का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं. कहा जाता है कि मन चाहा वर पाने के लिए कुंवारी कन्याएं इस दिन करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं. कॉलेज जाने वाली या ऑफिस में काम करने वाली लड़कियां भी अपने मन चाहे वर को पाने के लिए करवा चौथ व्रत रख कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. इन लड़कियों को करवा चौथ व्रत के दिन माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. कुंवारी कन्याओं को पूजा करने बाद वे पारण कर सकती हैं. इन्हें चांद देखकर व्रत पारण नहीं करना चाहिए. बल्कि तारे देखकर व्रत पारण करना चाहिए.
- शादी से पहले या कुंवारी कन्यायें करवा चौथा का व्रत रखकर रहीं हैं, तो उन्हें सरगी की जगह फल खाना चाहिए.
- कुंवारी कन्याओं को निर्जला व्रत रखने की जगह निराहार व्रत रखने की सलाह दी जाती है.
- इन्हें बिना छलनी के ही तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलना चाहिए.
करवा चौथ व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
करवाचौथ व्रत की पूजा के लिए इन सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।
करवा चौथ पूजा-विधि
- करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठाकर स्नान करें और स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें.
- इसके बाद पूजा करते समय व्रत प्रारंभ करें और इस मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें- ‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
- इसके बाद जिस स्थान पर आप करवाचौथ का पूजन करने वाले हैं वहां आप गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं.
- इसके उपरांत आठ पूरियों कि अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएँ और पक्का भोजन तैयार करें.
- अब आप पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें और साथ ही उनकी गोदे में गणेश जी को विराजित कराएं.
- अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें शृंगार का सामान अर्पित करें.
- गौरी मां के सामने जल भर कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके.
- अब विधिपूर्वक गणेश गौरी की विधि पूर्वक पूजा करें और करवाचौथ की कथा सुनें.
- कथा सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिन्दियां लगाएं.
- कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें.
- पूजा करने के उपरांत चंद्रमा निकलते ही चंद्र दर्शन के उपरांत पति को छलनी से देखें.
- इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का उद्यापन करें.